‘चाणक्य’ को ‘मामा’ पर नहीं रहा भरोसा, ले लिया बड़ा फैसला

भोपाल। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह मध्यप्रदेश के पार्टी संगठन को देश का सबसे अच्छा संगठन बताते हैं, लेकिन उसके ठीक उलट चुनाव की बेला पर राज्य इकाई को संचालित करने की कमान पूरी तरह ‘दिल्ली’ के नेताओं के हाथ में सौंप दी गई है। राज्य के अधिकांश नेता वही कर रहे हैं जो पार्टी हाईकमान द्वारा भेजे गए नेता निर्देश दे रहे हैं।

‘चाणक्य’ को ‘मामा’ पर नहीं रहा भरोसा, ले लिया बड़ा फैसला

इस तरह राज्य के नेताओं की हैसियत सिर्फ आदेश का पालन करने वाले कार्यकर्ताओं की होकर रह गई है।

भाजपा के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल कहते हैं कि पार्टी में वरिष्ठ नेताओं का समय-समय पर मार्गदर्शन लिया जाता है, इस समय भी मार्गदर्शन मिल रहा है, यह पार्टी की परंपरा है। वहीं, कांग्रेस के नेताओं का तो पता तक नहीं है।

दिल्ली से आए नेताओं की ताकत का इसी बात से अहसास हो जाता है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी जन आशीर्वाद यात्रा में व्यस्त थे और प्रदेश के चुनाव प्रभारी धर्मेद्र प्रधान ने जन आशीर्वाद यात्रा के समापन का ऐलान कर दिया। प्रधान ने गुरुवार दोपहर यात्रा के समापन की घोषणा की, तो वहीं चौहान को रात में जबलपुर में अपनी यात्रा का समापन करना था। प्रदेश की 230 सीटों में से 43 विधानसभा क्षेत्र तक इस यात्रा का अभी पहुंचना शेष था।

राज्य में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान को चुनाव प्रभारी बनाकर भेजा है, तो मीडिया की कमान प्रवक्ता संबित पात्रा को सौंपी गई है। इतना ही नहीं, प्रवक्ता गौरव भाटिया, गोपाल अग्रवाल, सतीश लखेडा, सयैद जफर इस्लाम, शलभमणि त्रिपाठी, तरुण कांत और राकेश त्रिपाठी को भी भाजपा ने राज्य में सक्रिय कर दिया है।

कांग्रेस ने बनाया ऐसा स्मारक कि आ गये संबित पात्रा के निशाने पर, अब जान ही लें पूरी बात

मीडिया से संवाद स्थापित करने की जिम्मेदारी संबित पात्रा को सौंपी गई है, पात्रा निरंतर मीडिया से सामूहिक या अलग-अलग तौर पर बातचीत कर रहे हैं, किसी को भेाज पर तो किसी को नाश्ते पर बुलाया जा रहा हैं। वे राज्य की नब्ज के साथ पत्रकारों के मन को भी टटोलने की कोशिश में लगे हैं।

कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि भाजपा के राष्ट्रीय संगठन को प्रदेश संगठन पर भरोसा नहीं रहा है, इतना ही नहीं शिवराज का राज्य में असर नहीं रहा है। लिहाजा, बाहर के नेताओं को भेजकर यहां केंद्रीय नेतृत्व ने अपना आधिपत्य स्थापित करने की कोशिश शुरू की है।

मप्र के 19 विधायकों ने नहीं दिया पैन कार्ड का ब्यौरा, 8 के पैन में अंतर

राज्य की सियासत में पहली बार ऐसा हो रहा है, जब प्रदेश इकाई को केंद्रीय नेतृत्व संचालित कर रहा है। यही कारण है कि भाजपा के राज्य स्तरीय नेता खुलकर बात करने तक से कतरा रहे हैं। केंद्रीय संगठन से भेजे गए नेताओं के सामने स्थानीय नेताओं की स्थिति हेडमास्टर के सामने छात्र जैसी बनकर रह गई है।

देखें वीडियो:-

LIVE TV