लाख कोशिशों के बाद भी यहां चूक गए ‘भाजपा चाणक्य’, राजनीति के शतरंज में उल्टा पड़ा पांसा

नई दिल्ली। कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा और विपक्षी दलों में जोर आजमाइश का दौर चल रहा है। सभी अपने-अपने खातों में वोटों की संख्या बढ़ाने की जुगत में लगे हुए हैं। चूंकि यहां की राजनीति मुख्यतः लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय पर टिकी हुई है। इसके इतर यहां की राजनीतिक परम्परा को तोड़ते हुए कुरुबा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले सिद्धारमैया ने कांग्रेस से यहां सरकार बनाई थी।

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भाजपा और विपक्षी

इसलिए पक्ष और विपक्ष अपना वोट बैंक मजबूत करने के लिए खासकर लिंगायत समुदाय पर नज़रें गड़ाए हुए हैं। वजह सिद्धारमैया सरकार ने लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने के मामले में अपनी हामी भर दी है।

वहीं भाजपा अध्यक्ष शाह ने अपना दांव चलते हुए इसे जातिगत राजनीति का नाम दे दिया। साथ ही यहां की सरकार पर हिंदुओं को बांटने का आरोप लगाया। लेकिन शाह का यह पैंतरा काम करता दिखाई नहीं दिया।

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शाह के अरमानों पर पानी फेरते हुए अब चित्रदुर्ग मठ के महंत ने लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने के राज्य सरकार के फैसले पर शाह को पत्र लिखकर सिद्धारमैया की तारीफ की। इस कारण शाह के द्वारा लगाए गए आरोपों का कोई फर्क यहां पड़ता हुई नहीं जान पड़ रहा है। साथ ही भाजपा के लिए इसे बड़ा झटका माना जा रहा है।

बता दें 19 मार्च को जहां राज्य की कांग्रेस सरकार ने लिंगायत को अलग धर्म की मान्यता देने सहमति जताई थी तो वहीं अमित शाह ने 26 मार्च को शिद्धगंगा मठ में 110 वर्षीय लिंगायत संत, शिवकुमार स्वामी से मुलाकात की थी।

इसके अलावा उन्होंने अप्रैल-मई में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में पार्टी की सफलता के लिए उनका आशीर्वाद लिया था।

खबरों के मुताबिक़ चित्रदुर्ग मठ के महंत शिवमूर्ति मुरुघा शरानारु ने शाह को लिखे पत्र में कहा है कि लिंगायत धर्म को अल्पसंख्यक का दर्जा मिलने से युवाओं को फायदा मिलेगा और समुदाय के बाकी लोगों को भी कुछ तो लाभ होगा।

साथ ही उन्होंने कहा कि यह फैसला समुदाय को बांटने वाला नहीं है बल्कि यह लिंगायत की उपजातियों के लोगों को संगठित करने वाला फैसला है।

इससे पहले शाह ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि लिंगायतों और वीरशैव लिंगायतों को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने का राज्य सरकार का कदम हिंदुओं को बांटने की कोशिश है।

बीजेपी अध्यक्ष ने कहा था कि यह लिंगायत समुदायों की बेहतरी के लिए उठाया गया कदम नहीं है बल्कि येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनने से रोकने की ‘साजिश’ है।

वहीं बीजेपी की सांसद शोभा करंदलाजे ने भी ट्वीट कर कहा था कि कर्नाटक सरकार का फैसला समुदाय को बांटने वाला है।

उन्होंने कहा था, ‘कर्नाटक के लोग हिंदू समाज को बांटने के आपके इरादे के लिए आपको कभी माफ नहीं करेंगे (मुख्यमंत्री) सिद्धारमैया। वोट बैंक की राजनीति के लिए आप एक गंदा खेल खेल रहे हैं। आपने कर्नाटक के नेताओं और स्वामीजी लोगों को बांटकर पूरे समुदाय के साथ छल किया है।’

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