शिवसेना के फैसले ने पलट दी शाह की गणित, दिया कभी न भूलने वाला दर्द

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी राज्यसभा के उपसभापति पद पर अपने किसी सहयोगी को बिठाना चाहती है। ऐसे में उसने शिवसेना को एक बेहतर विकल्प माना। साथ ही बिगड़े हुए रिश्तों को सुधारने की दिशा में कदम उठाते हुए उन्हें प्रस्ताव दिया। लेकिन भाजपा का ये दांव उस वक्त फेल हो गया जब शिवसेना ने उपसभापति पद के प्रस्ताव को साफ़ तौर पर ठुकरा दिया। ऐसे में भाजपा अब जून में होने वाले इस चुनाव के लिए नए सिरे से रणनीति तैयार करेगी।

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भारतीय जनता पार्टी

खबरों के मुताबिक़ शिवसेना ने राज्यसभा के उपसभापति पद के लिए भाजपा के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। वहीं शिवसेना के इनकार के बाद पार्टी ने अब भी इस पद को विपक्ष के बदले अपने किसी सहयोगी को देने का विकल्प खुला रखा है।

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रिश्तों में आई कड़वाहट को कम करने के लिए पार्टी ने शिवसेना के सामने उपसभापति पद लेने का प्रस्ताव रखा था।

बता दें 2014 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद भाजपा ने राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति के पद के लिए अपनी पसंद पर सहयोगियों से हामी भरवाई।

लोकसभा में डिप्टी स्पीकर का पद एनडीए के बाहर के दल अन्नाद्रमुक को देने पर भी सहयोगियों का साथ लिया।

सहयोगियों को इन पदों पर काबिज होने का मौका न मिलने के कारण ही पार्टी ने उपसभापति पद के लिए शिवसेना को तरजीह दी। इसका दूसरा बड़ा कारण नाराज चल रही शिवसेना को साधना था।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, हालांकि अभी चुनाव में देरी है, मगर शिवसेना के इनकार के बावजूद हमने यह पद किसी सहयोगी को ही देने का विकल्प खुला रखा है। पार्टी चाहती है कि इस पद पर कांग्रेस को बैठने का मौका न मिले।

ऐसे में 6 सदस्यों वाले जदयू या बीते चार साल से राजग में न होने के बावजूद मोदी सरकार का समर्थन करने वाली अन्नाद्रमुक की लॉटरी लग सकती है।

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