भाजपा सांसद का तंज, भोजन करने से नहीं रोजगार देने से होगा दलितों का सम्मान

रिपोर्ट- सईद रेहान कादरी 

बहराइच। बहराइच में भाजपा सांसद सावित्रीबाई फुले एक बार फिर अपनी ही पार्टी के नेताओं के विरुद्ध मुखर हो गई हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता दलितों के यहां दिखावटीपन के लिए खाना खाने जाते हैं। जबकि वह खाना ना तो ना तो अनुसूचित जाति के बर्तन में खाते हैं ना ही उसके हाथ का बना खाते हैं , भंडारी द्वारा बनाया खाना मात्र अनुसूचित जाति के व्यक्ति के घर बैठकर खाते हैं। उन्होंने कहा कि मैं इससे सहमत नहीं हूं।

भाजपा सांसद सावित्रीबाई फुले

उन्होंने कहा कि अगर अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को साथ लेकर चलना है तो घर की रसोई में उनके साथ बैठकर खाना खाये, उनकी थाली उठाएं और उनको सम्मान के साथ गले लगाएं तब एक साथ मिलकर चलने की बात करें। उन्होंने कहा कि आज अनुसूचित जाति जनजाति के घर खाने का ढिंढोरा पीटा जा रहा है सोशल मीडिया, टीवी और अखबार के माध्यम से उनके घर खाने का प्रचार किया जा रहा है ।

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सांसद ने कहा कि आज अनुसूचित जाति के लोग बदहाली की जिंदगी जीने के लिए मजबूर है दाल चावल और नमक रोटी खाकर किसी तरह से अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं।

उन्होंने कहा अगर अनुसूचित जाति के घर खाना खाना ही है तो उनके घर अचानक पहुंचा जाए उनके बर्तन में उनके घर बना हुआ खाना खाया खाया जाए तब पता चलेगा की अनुसूचित जाति का व्यक्ति कितना परेशान है।

भाजपा सांसद सावित्रीबाई फुले ने कहा कि मुझे लगता है कि अनुसूचित जाति के लोगों को नीच भावना अछूत भावना से देखा जा रहा है । उन्होंने कहा कि अगर अनुसूचित जाति के लोगों का सम्मान बढ़ाने की बात है तो उन्हें सरकारी नौकरियां निकाल कर दी जाएं। अनुसूचित जाति के बेरोजगार लोगों को रोजगार उपलब्ध कराए जाए, जिनके पास मकान नही है उन लोगों को मकान उपलब्ध कराए जाएं, जो बच्चे पढ़ना चाहते हैं उन्हें मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराई जाए।

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उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति के लोगों को सम्मान और रोजगार देकर अपने साथ जोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान पूरी तरह से लागू हुए बिना गैर बराबरी समाप्त नहीं हो सकती है।

उन्होंने कहा कि आज मैं बहराइच लोक सभा सीट से सांसद हूं लेकिन मुझे दलित सांसद कहां जाता है उन्होंने माननीय राष्ट्रपति के संबंध में भी अपने विचार रखें। उन्होंने कहा कि अगर संविधान में जाति व्यवस्था समाप्त करने की बात कही गई है तो फिर जाति अवस्था क्यों है ? वह बहराइच में एक वैवाहिक कार्यक्रम में शिरकत करने आई थी।

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