सबकुछ जीतकर भी हार गई मोदी सरकार, 2019 के पहले राम मंदिर बनना असंभव!
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी यानी अब मोदी सरकार, सबकुछ जीतकर भी उस मैदान में हार गई जहां से बीजेपी अपने और अपने समर्थकों को वायदे पूरा करने का सबूत दे सकती। संसद का उच्च सदन राज्य सभा, जहां से सत्ता धारी पार्टी को किसी बिल को पास कराने के लिए यहीं से होकर सबके सामने आता है। अब यह साबित हो जाएगा कि तो राज्य सभा की मौजूदा स्थिति का क्या असर 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों पर पड़ेगा?’
राज्य सभा के लिए 58 नए सदस्यों और एक सीट के लिए उपचुनाव की प्रक्रिया देश के 16 राज्यों में हुई। इन 58 सीटों में 25 सीटों के लिए चुनाव 6 राज्यों में कराए जा रहे हैं जबकि 10 राज्यों से 33 सदस्य निर्विरोध ही राज्य सभा पहुंच जाएंगे रहे हैं।
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हालांकि, अभी बात सिर्फ मोदी सरकार के दोनों सदनों में वर्चस्व की हो तो लोकसभा में बीजेपी को पूर्ण बहुमत है। लेकिन विपक्ष के जाल यानी राज्य सभा में नए माननीयों की गणित के बाद भी बीजेपी को 15 सीटों तक का फायदा हो सकता है।
इस फायदे से बीजेपी मौजूदा 58 सदस्यों के आंकड़े को बढ़ाकर 73 तक पहुंचा देगी। तब भी राज्यसभा में बहुमत के लिए जरूरी 123 सीटें नहीं हो सकतीं। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस से करीब 10 सीटें छिन जाएंगी और राज्य सभा में उसका आंकड़ा 54 से घटकर लगभग 45 तक पहुंच जाएगा।
लिहाजा, इस स्थिति में एक बात साफ है कि मौजूदा लोकसभा के कार्यकाल में बीजेपी को राज्यसभा में बहुमत नहीं मिलेगा। इसके लिए उसे एक बार फिर 2019 के लोकसभा चुनावों में प्रचंड बहुमत में आने के साथ-साथ 2018 और 2019 में होने वाले विधानसभा चुनावों में बढ़त बनानी होगी।
ऐसी स्थिति में बीजेपी के लिए 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले अपने हिदुत्व एजेंडे का साथ पकड़ना आसान नहीं होगा। नतीजा, अगले आम चुनावों में एक बार फिर उसे सिर्फ वादों के साथ प्रचार करना होगा।
बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनावों में विकास के एजेंडे के साथ-साथ अपने हिंदुत्व के एजेंडे को बढ़ाने का वादा किया था। चुनाव नतीजों के बाद जब केन्द्र में मजबूत मोदी सरकार का गठन हुआ तो पार्टी ने अच्छे दिन लाने के लिए तेज विकास की नीतियों को आगे बढ़ाया। अब जब 2019 के आम चुनाव में महज एक साल का वक्त बचा है, ऐसी स्थिति में जनता के उठने वाले सवालों को रोकना सरकार के बस की बात नहीं होगी।
गौरतलब है कि, हिंदुत्व भाजपा के एजेंडे में है। मोदी सरकार ने इसी के लिए बीते 4 साल के दौरान यूनीफॉर्म सिविल कोड, धारा 370 को हटाने और लोकसभा के साथ-साथ देशभर में विधानसभा चुनावों को कराने मसौदा तैयार किया है।
लेकिन इन सभी मसौदों पर आगे बढ़ने के लिए संविधान में संशोधन की जरूरत है जिसके लिए यह जरूरी है कि बीजेपी को लोकसभा के साथ-साथ राज्य सभा में विशेष बहुमत मिले।
हिंदुत्व एजेंडे पर खरा उतरने के लिए यह भी जरूरी है कि बीजेपी की कम से कम 15 राज्यों में भी विशेष बहुमत वाली सरकार मौजूद रहे। हालांकि मौजूदा समय में बीजेपी के 15 राज्यों में मुख्यमंत्री के साथ-साथ 21 राज्यों में गठबंधन की सरकार है। लेकिन राज्य सभा में बहुमत की संभावना 2019 के चुनावों के बाद बनने की स्थिति में इस आंकड़े में भी फेरबदल देखने को मिल सकता है।
गौरतलब है कि, जहां हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव 2019 के आम चुनावों के तुरंत बाद होंगे वहीं आंध्रप्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम और तेलंगाना का चुनाव लोकसभा चुनावों के साथ कराया जाएगा।
इसके अलावा 2019 लोकसभा चुनावों से ठीक पहले 2018 में छत्तीगढ़, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, मिजोरम और राजस्थान के विधानसभा चुनाव कराएंगे।
इन चुनावों के बाद यदि केन्द्र में बीजेपी को लोकसभा और राज्यसभा में विशेष बहुमत के साथ-साथ 15 राज्यों में दो-तिहाई बहुमत वाली सरकार रहेगी तभी मोदी सरकार हिंदुत्व के एजेंडे पर फैसला ले पाएगी।