भोपाल दुष्कर्म मामला : पुलिस के हाथ लगे दस्तावेज़ से हुआ ऐसा खुलासा, प्रशासन भी रह गया हैरान

भोपाल मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के छात्रावास में मूक-बधिर युवतियों के साथ हुई ज्यादती का खुलासा होने के बाद यह बात सामने आई है कि राज्य सरकार इस छात्रावास को नि:शक्त छात्रों के नाम पर अनुदान देती थी, जबकि यहां युवतियों को भी रखा गया था।

भोपाल दुष्कर्म मामला

छात्रावास में युवतियों के साथ हुई ज्यादती की जांच के लिए बनाए गए विशेष जांच दल (एसआईटी) के प्रमुख अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राहुल लोढ़ा ने संवाददाताओं को बताया कि प्रारंभिक जांच में इस बात का पता चला है कि इस छात्रावास को सरकार की ओर से अनुदान मिलता था। इसके दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं। छात्रावास की अन्य युवतियों से भी संपर्क किया जा रहा है।

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दूसरी ओर, जो दस्तावेज सामने आए हैं, उससे पता चलता है कि यह छात्रावास नि:शक्त छात्रों के लिए था। इसके लिए सामाजिक न्याय विभाग 1800 रुपये प्रतिमाह प्रति छात्र के हिसाब से अनुदान देता था। मगर राज्य के पंचायत एवं सामाजिक न्याय विभाग के मंत्री गोपाल भार्गव इस बात को नकार रहे हैं। उनका कहना है कि छात्रावास को किसी तरह का अनुदान नहीं दिया जाता था।

एसआईटी प्रमुख लोढ़ा के अनुसार, यह छात्रावास वर्ष 2016 से संचालित है और इसमें गड़बड़ियों की जो शिकायतें सामने आई हैं, वे इसी साल की हैं।

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ज्ञात हो कि बीते दिनों धार की एक मूक-बधिर युवती ने छात्रावास में उसके साथ हुई ज्यादती की शिकायत पुलिस में की थी, उसके बाद यह मामला उजागर हुआ। अब तक चार युवतियों ने छात्रावास में ज्यादती या अश्लील हरकतें होने की बात स्वीकारी है। आरोपी अश्विनी शर्मा अभी पुलिस की रिमांड पर है।

भोपाल क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) जयदीप प्रसाद ने बताया कि आरोपी पुलिस रिमांड पर है, उससे पूछताछ जारी है। एसआईटी हर पहलू की गंभीरता से जांच कर रही है।

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