Bhadrapada Amavasya 2019 – जानें कब है भाद्रपद अमावस्या, क्या है इसका धार्मिक महत्व
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को भाद्रपद अमावस्या या पिठौरी अमावस्या के नाम से जाना जाता है. उत्तर प्रदेश के कई राज्यों में इसे कुशोत्पाटनम भी कहा जाता है. पिठौरी अमावस्या पर गंगा स्नान, पूजा-पाठ, दान और पितरों का श्राद्ध किया जाता है. इस दिन का विशेष महत्व है.
इस दिन पितरों को प्रसन्न करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति का वास होता है. इसके साथ ही अच्छी शिक्षा और अपार धन की प्राप्ति भी होती है. पिठौरी अमावस्या पर देवी दूर्गा पूजा का विशेष महत्व है. महिलाएं इस दिन पूजा कर अपने पुत्र की लंबी आयु और अच्छे सेहत की कामना करते हैं. इस साल 30 अगस्त को पिठौरी अमावस्या देशभर में मनाई जा रही है.
पिठौरी अमावस्या पर करें ये असरदार उपाय
पिठौरी अमावस्या के दिन सुबह उठकर गंगा स्नान करें. अगर किसी वजह से गंगा किनारे जाना संभव नहीं तो आप किसी नदी या सरोवर में भी स्नान कर सकते हैं. वहीं अगर में थोड़ा गंगाजल है तो उसे दूसरे जल में मिलाकर नहा सकते हैं. स्नान करने के बाद पुरुष लोग सफेद रंग के कपड़े पहनें और पितरों का तर्पण करें. उनके नाम पर चावल, सब्जी और दाल जैसे पके हुए भोजन पैसों का दान करें. कहा जाता है कि इस दिन शिव जी के पूजन का भी विशेष महत्व बताया गया है.
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पिठौरी अमावस्या पर पुत्र के लिए करें माता पार्वती की पूजा
मान्यता है कि पिठौरी अमावस्या पर महिलाओं को भगवान भोलेनाथ की पत्नी पार्वती माता की जरूर पूजा करनी चाहिए. इस अवसर पर आटे से 64 देवियों की छोटी-छोटी प्रतिमा अथवा पिंड बनांए और इन्हें नए वस्त्र पहनाएं. पूजा के स्थान पर फूलों की तरह अच्छी तरह सजाएं. पौराणिक मान्यताओं की मानें तो माता पार्वती ने भगवान इंद्र की पत्नी को पिठौरा अमावस्या की कथा सुनाई थी.
हिंदू धर्म के अनुसार, पिठौरी अमावस्या के दिन व्रत करने से व्यक्ति को बुद्धिमान और बलशाली पुत्र की प्राप्ति होती है. पूजा के समय देवी को सुहाग के सभी समान जैसे नई चूड़ी, साड़ी, सिंदूर आदि चढ़ाया जाता है. दक्षिण भारत में पिठौरी अमावस्या को पोलाला अमावस्या के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन दक्षिण भारत में देवी पोलेरम्मा की पूजा की जाती है. बता दें कि पोलेरम्मा को पार्वती मां का ही एक रूप माना गया है.