बाहुबली ‘राजा भैय्या’ के पिता को प्रशासन ने किया नजरबंद, खतरे में कुंडा की शांति
रिपोर्ट- मनोज त्रिपाठी
प्रतापगढ़। सूबे के बाहुबली नेताओ में शुमार कुंडा विधायक पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप उर्फ़ राजा भैया के पिता राजा उदय प्रताप को जिला प्रशासन ने उन्ही के भदरी कोठी में ही नजर बंद किया गया है। महल के आस पास और पूरे कुंडा में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। कुंडा को छावनी में तब्दील कर दिया गया है।
पिछले गत वर्षों से शेखपुर गाँव में हनुमान मन्दिर पर भण्डारा करने को लेकर नई परम्परा पर जिला प्रशासन ने रोक लगा रखी है क्योंकि मन्दिर के सामने से मोहर्रम का जूलूस निकलता है। भंडारे का आयोजन बंदर की पुण्यतिथि पर मनाया जाता है। बताया जाता है कि बन्दर की मौत मुहर्रम के ही दिन हुई थी। इलाके में धारा 144 लागू कर दिया गया है।
पुलिस और प्रशासन के लिए साल दर साल परेशानी का सबब यह भण्डारा बना हुआ है। क्योंकि कुंडा में मुहर्रम की दसवीं पर जुलूस के रास्ते मे भंडारे की अनुमति ना मिलने पर उदय प्रताप के समर्थकों में प्रशासन के प्रति नाराजगी है। इस मामले को लेकर राजा भैया के पिता प्रशासन के बीच ठनी हुई है। उदय प्रताप सिंह ने कहा था कि पूजा-पाठ संविधान का मौलिक अधिकार है। अगर सरकार धर्म विरोधी कार्य करेगी तो हिंदु वोटो का नुकसान होगा। बंदर की पुण्यतिथि पर यह भंडारा एवं पूजा पाठ का आयोजन किया जाता है।
पहले एक लंगूर बंदर को लोगो ने गोली मार दिया था और ताजिये के रास्ते में उसकी मौत हो गयी थी। इसलिए उस स्थान पर इलाहाबाद लखनऊ हाइवे पर मंदिर बना कर भंडारा किया जाता है। मुहर्रम के दिन ही भंडारे का आयोजन होता है और वहां से मोहर्रम का जुलूस निकलता है इसके चलते भंडारे की अनुमति नहीं मिलती है। दो साल पहले यह मामला हाईकोर्ट में भी पहुंचा था और हाई कोर्ट ने इस पर निर्णय के लिए जिला प्रशासन को निर्देश दिया था। इसके बाद से भंडारे का आयोजन बंद करने को लेकर रघुराज प्रताप के पिता और पुलिस प्रशासन में हर साल ठनी रहती है। पिछली बार भी राजा भैया के पिता उदय प्रताप को महल में नजरबंद कर दिया गया था।
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फिलहाल डीएम और एसपी भी कुंडा में ही गस्त कर रहे हैं। देर शाम ताजिया दफ़न होने के बाद ही राजा उदय प्रताप सिंह की नजरबंदी से पाबन्दी हटेगी। भंडारा स्थल पर भगवा झंडे लगाये गए हैं। बता दे दो साल पहले तीन दिन बाद उठ सका था ताजिया। बड़ा सवाल की हिन्दू मत के अनुसार पूण्य तिथि मृत्यु की तिथि पर मनाया जाता मुहर्रम आगे पीछे भी होता रहता है तो कही न कही इस कार्यक्रम का लक्ष्य विवादों को जन्म देना ही तो नहीं है।