रामलला के लिए झगड़ा दरकिनार, हिन्दू-मुस्लिम मिलकर निकालेंगे भव्य रथ यात्रा

अयोध्या में राम मंदिरअयोध्या: अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के विवाद पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. राजनीतिक व्यक्तियों द्वारा दिए जाने वाले तमाम बयानों से अयोध्या देश के सबसे चर्चित विषयों में से एक है. वैसे तो हिन्दू मुस्लिम के बीच अपने-अपने धार्मिक दावे का दंश झेलती अयोध्या का इतिहास मानवीय पहलुओं में बिखरा नजर आता है लेकिन अब अयोध्या से जय श्री राम के उद्घोष को देश के कोने कोने तक पहुँचाने की तैयारी है.

 

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दक्षिण पंथी समूह विश्व हिंदू परिषद के समर्थन से मंदिरों के नगर अयोध्या से मंगलवार को “राम राज्य रथयात्रा” का शुभारंभ किया जाएगा. इस यात्रा की समाप्ति तमिलनाडु के रामेश्वरम में होगी और इससे पहले अगले दो महीनों में छह राज्यों से होते हुए गुजरेगी.

अयोध्या में राम मंदिर के लिए अभियान सन 1990 में लालकृष्ण आडवाणी ने शुरू किया था जिससे भाजपा को देश में एक प्रमुख राजनीतिक ताकत बनने में मदद मिली. पिछले कुछ वर्षों में अयोध्या मामले को भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा-पत्रों में प्राथमिकता से हटाकर पीछे के पन्नों में धकेल दिया था.

उत्तर प्रदेश में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भी यह मुद्दा नहीं उठाया गया था लेकिन यूपी में सत्ता संभालने के बाद गोरखपुर के पुजारी-राजनेता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आश्वासन दिया है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण एक महत्वपूर्ण एजेंडा है.

दीपावली की पूर्व संध्या पर मंदिर के भव्य प्रदर्शन और धार्मिक पर्यटन के लिए कई योजनाओं के साथ, भगवाधारी मुख्यमंत्री ने संकेत दिया था कि धर्म नगरी अयोध्या उनकी सरकार के लिए प्राथमिकता में है. राम राज्य रथयात्रा को मंगलवार की शाम को अयोध्या के करसेवकपुरम से विदा किया जाएगा.

स्थानीय मजदूर इस आशा के साथ खंभे तैयार कर रहे हैं कि उन्हें एक दिन राम मंदिर के निर्माण में इस्तेमाल किया जाएगा.

राम राज्य रथयात्रा में एक रथ होगा. एक टाटा मिनी ट्रक को रथ का स्वरूप दिया गया है. यह यात्रा भाजपा शासित उत्तर प्रदेश,  मध्यप्रदेश,  महाराष्ट्र के अलावा कांग्रेस शासित कर्नाटक से गुजरेगी. कर्नाटक में पार्टी इस साल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से सत्ता हथियाने की उम्मीद कर रही है. यात्रा अंतिम चरण में केरल से गुजरेगी, जहां भाजपा अपने पैर फैलाने की कोशिश में जुटी है.

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रथयात्रा के आयोजक इसके पीछे किसी भी राजनीतिक उद्देश्यों की बात को खारिज कर रहे हैं.

यात्रा की मुख्य आयोजक ‘श्री रामदास मिशन यूनिवर्सल सोसाइटी’ के महर्षि शांता बंधी ने कहा, “चुनाव करीब आ रहे हैं तो इसमें हमारी क्या गलती? हम भाजपा के लिए अभियान चलाने के लिए इस यात्रा का आयोजन नहीं कर रहे हैं.”

विश्व हिन्दू परिषद के लंबे समय के प्रवक्ता शरद शर्मा ने सहमति व्यक्त की. उन्होंने कहा कि “इरादा यह है कि अयोध्या में एक भव्य राम मंदिर का निर्माण किया जाना चाहिए.”

यात्रा की योजना को लेकर मुस्लिम याचिकाकर्ताओं ने बाबरी मस्जिद की मांग पर ध्यान आकर्षित किया है. अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के ज़फरयाब गिलानी ने हाल ही में यह स्पष्ट कर दिया कि वे अपनी मस्जिद की मांग नहीं छोड़ेंगे.

यह रथयात्रा महाराष्ट्र के एक सामाजिक संगठन द्वारा आयोजित की जा रही है और इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ-बीजेपी से वैचारिक सहमति रखने वाले विश्व हिन्दू परिषद और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच जैसे संगठन भाग लेने की तैयारी में हैं.

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