
रिपोर्ट- सईद राजा
इलाहाबाद। पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई का प्रयाग से गहरा नाता रहा है अटल बिहारी वाजपेई कि कई यादें इलाहाबाद से जुड़ी हुई हैं 1959 में प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के घर इलाहाबाद में उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। शहर के कल्याणी देवी पार्क में 30 सितंबर 1959 को एक प्रभावी सभा आयोजित की थी और कांग्रेस की नीतियों के खिलाफ जमकर हमला बोला था लेकिन सबसे यादगार पल अटल बिहारी वाजपेई के 1973- 74 के हैं जब उन्होंने इमरजेंसी के दौरान 5 दिनों तक नैनी जेल में गुजारे थे। अटल बिहारी वाजपेई से जुड़े तमाम राजनीतिक और गैर राजनीतिक वाक़िये बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि अटल बिहारी वाजपेई को इमरजेंसी के अलावा भी तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने जेल में डाला था।
बात सन 1973 और 74 की है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले थे सूबे सियासी पारा चढ़ रहा था। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और हेमवती नंदन बहुगुणा मुख्यमंत्री थे। उस समय अटल बिहारी वाजपेई जनसंघ के नेता हुआ करते थे। देशभर में जनता की आवाज बनकर अटल बिहारी बाजपेई जनसंघ के मंच से सरकार का विरोध कर रहे थे। सरकार किसानों को सरकारों दामो पर गेहूं बेचने के लिए मजबूर कर रही थी। जबकि पूरे प्रदेश फसल अच्छी हुई थी। इसके बावजूद सरकार का आदेश था की सभी किसानों का सरकारी मूल्यों पर गेहूं बेचना अनिवार्य है।
जनसंघ ने सरकार के खिलाफ देश भर में गेहूं की लेवी आंदोलन शुरु किया। उत्तर प्रदेश में जिसकी अगुवाई अटल बिहारी बाजपेई के हाथो में थी। इत्तिहास के जानकार और वरिष्ठ नेता बाबा अभय अवस्थी बताते हैं कि उस आंदोलन मैं अटल बिहारी बाजपेई के साथ हजारों लोग सड़क पर उतर आए। लखनऊ की सड़कों पर सरकार विरोधी नारे लगने लगे देश की सत्ता में खलबली मच गई थी।
गेहूं की लेवी आंदोलन का नेतृत्व करते हुए अटल बिहारी बाजपेई ने कहा कि सरकार गरीब किसान मजदूरों को अपना अनाज बेचने के लिए सरकार मजबूर नहीं कर सकती। बाबा अभय अवस्थी ने बताया कि सरकार अनाज भंडार के लिए देशभर में गेहूं खरीद करवा रही थी। जो सरकारी दामों पर खरीदा जा रहा था और बाजार की कीमत से बहुत कम था।सरकार का कहना था की किसानो के खेतों में अगर एक कुंटल भी गेहूं पैदा हुआ है।उसमें से आधा बेच दिया जाए जिसका किसान विरोध कर रहे थे।
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इस आंदोलन में अटल बिहारी बाजपेई को लखनऊ में गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने बल प्रयोग किया लेकिन अटल बिहारी वाजपेई के साथ सड़कों पर उतरे नौजवान किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हुए।आन्दोलन में संख्या इतनी ज्यादा थी कि उन्हें वहां के स्थानीय जेल में नहीं रखा जा सकता था। उस समय अटल बिहारी वाजपेई को देश की सबसे सुरक्षित जिलों में से एक नैनी जेल लाया गया। अटल जी समेत पांच सौ लोगो को नैनी जेल की पांच नंबर बैरिक में रखा गया। नैनी जेल में अटल बिहारी बाजपेई को 5 दिन तक बंद रहे। जिसके बाद उनकी जमानत हुई। उस समय बैरक नंबर पांच में 502 लोगो का खाना एक साथ बनता था। देश में चल रही सरकारी तानाशाही के खिलाफ तमाम गंभीर मुद्दों पर अटल बिहारी वाजपेई गहन चिंतन करते हुए लोगों से चर्चा करते थे।