यूपी की इस सीट से पहला लोकसभा चुनाव लड़े थे अटल बिहारी वाजपेयी, जानिए पूरी कहानी

 पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज पुण्यतिथि है, भारत के पूर्व का देहांत चार साल पहले 16 अगस्त को हुआ था। दिल्ली में उनके समाधि स्थल सदैव अटल पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री शाह समेत कई दिग्गजों ने भावभीनी श्रद्धांजलि दी है। वे देश के पहले गैर-कांग्रेसी पीएम भी बने थे। वाजपेयी ने पहला चुनाव 1952 में उत्तर प्रदेश की एक सीट से लड़ा था, हालांकि इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने अपने राजनीति करियर में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।  

इन तीन सीटों से लड़ा था चुनाव
1957 में अटल बिहारी वाजपेयी ने जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़ा था, इस आम चुनाव में वे लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर से मैदान में उतरे थे. हालांकि लखनऊ और मथुरा में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, जबकि बलरामपुर से उन्होंने जीत दर्ज की, लखनऊ में उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी पुलिन बिहारी बनर्जी ने हराया और मथुरा में उनकी जमानत तक जब्त हो गई. तब मथुरा से सोशलिस्ट पार्टी के राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने जीत दर्ज की थी।  

इसके बाद वे 1962 और 1967 के आम चुनाव में भी लखनऊ से मैदान में उतरे लेकिन हार का समाना करना पड़ा था, वहीं 1967 के उपचुनाव में फिर एक बार उन्होंने लखनऊ से ही अपनी दावेदारी पेश की, इस बार उन्होंने अपने विपक्षी उम्मीदवार को हरा दिया। इसके बाद उन्होंने मध्य प्रदेश की ग्वालियर सीट से 1971 और नई दिल्ली सीट से 1977 के अलावा 1980 का भी चुनाव लड़ा था, इसके बाद फिर वे एक बार फिर 1984 में ग्वालियर से चुनाव लड़े थे।

24 बाद फिर लखनऊ से लड़े चुनाव
24 साल के लंबे अंतराल के बाद वे 1991 का लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उत्तर प्रदेश आए, यहां उन्होंने लखनऊ लोकसभा सीट से अपनी दावेदारी पेश की. इसी चुनाव में उन्होंने मध्य प्रदेश की विदिशा सीट से भी अपनी दावेदारी पेश की थी।1996 में जब लालकृष्ण आडवाणी पर हवाला कांड को लेकर आरोप लगा तो अटल बिहार वाजपेयी ने लखनऊ के साथ ही गांधी नगर सीट से अपनी दावेदारी पेश की थी. इस चुनाव में उन्होंने दोनों ही सीटों पर जीत दर्ज की। हालांकि इसके बाद 1998, 1999 और 2004 के आम चुनावों में वाजपेयी ने केवल लखनऊ सीट से अपनी दावेदारी पेश की, इस दौरान उन्होंने तीनों चुनावों में जीत दर्ज की थी।

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