बुद्ध पूर्णिमा के दिन दान-पूण्य करने से मिलता है विशेष लाभ, जानें इस दिवस का महत्व

(अराधना)

वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) के नाम से जानते हैं। वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, इसलिए इस तिथि को बुद्ध पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन भगवान बुद्ध, भगवान विष्णु और भगवान चंद्रदेव की पूजा का विधान है। बौद्ध समुदाय के लिए बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन वे भगवान बुद्ध की पूजा करते हैं और उनके उपदेशों एवं संदेशों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करते हैं। इस साल बुद्ध पूर्णिमा 16 मई दिन सोमवार को है।

 मान्यता है कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन दान करना अत्यंत शुभ होता है और इस दिन किए गए दान का फल कई गुना मिलता है। इस दिवस को सत्य विनायक पूर्णिमा भी कहा जाता है। वैशाख पूर्णिमा के दिन अन्न, वस्त्र और धन का दान करना शुभ माना जाता है और इसे अन्न दान की प्रथा माना जाता है। वैशाख पूर्णिमा का व्रत रखने से बुरे या पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान विष्णु और चंद्र देव की उपासना करने से आर्थिक तंगी दूर हो सकती है। आत्मबल में वृद्धि होती है और धन लाभ के योग बनते हैं। मान सम्मान में भी वृद्धि होती है।

 वैशाख पूर्णिमा के दिन प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, जलाशय में स्नान करना चाहिए। इस दिन जरूरतमंदों को शक्कर के साथ तिल दान करने से पापों का क्षय होता है। इस दिन तिल के तेल के दीपक जलाएं। इस व्रत में एक समय भोजन करें। इस व्रत के प्रभाव से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। 

पूजन विधि

प्रात:काल में स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य देकर बहते जल में तिल प्रवाहित करें। पीपल के वृक्ष को भी जल अर्पित करना चाहिए। इस दिन चूंकि कुछ क्षेत्रों में शनि जयंती भी मनाई जाती है, इसलिए शनिदेव की तेल, तिल और दीप आदि जलाकर पूजा करनी चाहिए। शनि चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं या फिर शनि मंत्रों का जाप कर सकते हैं। अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा भी अवश्य देनी चाहिए।

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