अंगूठे का निशान नहीं हुआ मैच, हुई भूख से तीसरी मौत

अंगूठे का निशानरांची: लगता है झारखंड इन दिनों डिजिटल इंडिया का दंश झेल रहा है। राज्य में पहले बच्ची और फिर रिक्शा चालक की भूख से मौत के बाद एक और जान चली गई है। इस बार बायोमैट्रिक मशीन में पिता के अंगूठे का निशान न मिलने पर दो महीने से राशन न दिए जाने की बात सामने आई है।

खबरों के मुताबिक, मुताबिक देवघर के मोहनपुर प्रखंड अंतर्गत भगवानपुर गांव में 62 वर्षीय रुपलाल मरांडी की मौत हो गई। घर पर दो महीने से राशन नहीं आ पा रहा था। बीते कई दिन तो भुखमरी की हालत में गुजरे। दो दिनों से घर में चूल्हा नहीं जला था।

मृतक की बेटी मानोदी मरांडी के अनुसार उनके पिता के अंगूठे का निशान बॉयोमेट्रिक मशीन से नहीं मिलने पर पिछले दो महीने से उसके परिवार को राशन नहीं दिया जा रहा था। इस वजह से घर में अनाज का एक दाना भी नहीं था। एक पडोसी ने कुछ भात दिया था वही खा कर पूरा परिवार किसी तरह जीवित था।

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स्थानीय लोग पूरे मामले की जांच कराकर दोषी को सज़ा देने की मांग शुरू कर दी है। वहीं इस मामले के बाद अधिकारी अभी कुछ भी नहीं बोल रहे हैं ।

गौरतलब है इससे पहले भूख से मौत के होने के दो कारण मामने सामने आ चुके हैं। सिमडेगा जिले में 11 साल की संतोषी कुमारी को कई दिनों से खाना नसीब नहीं हुआ था, जिस कारण उसकी मौत हो गई। दरअसल राशन डीलर की दलील थी कि राशन कार्ड आधार नंबर से लिंक नहीं है, इसलिए अनाज नहीं मिल सकता।

वहीं, धनबाद ज़िले में एक 40 साल के रिक्शा चालक की भी भूख से मौत होने की बात सामने आई। परिवार का आरोप है कि रिक्शा चलाकर गुज़ारा करने वाले बैद्यनाथ दास राशन कार्ड बनवाने के लिए चक्कर काट रहा था।

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