भाषण दे रहे अमित शाह के साथ हुआ बड़ा ‘हादसा’, पहुंचते ही पलट गया सारा खेल
नई दिल्ली। सियासी रंग मंच में अब कर्नाटक प्रमुख भूमिका में है। कारण यहां होने वाले विधानसभा चुनाव हैं। सभी नजरें यहां के प्रमुख वोट बैंक पर है। जिसमें लिंगायत समुदाय को रिझाने और मिलाने का दौर जारी है। ऐसे में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने जहां एक ओर कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए मैसूर में चुनावी रैली को संबोधित किया और अपनी गलती मानी, जिसमें उनकी जुबान फिसलने की वजह से उन्होंने अपने ही नेता का नाम ले लिया था।
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वहीं दूसरी ओर उन्होंने यहां अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए एक दलित समुदाय से मिलने पहुंच गए। पर यहां उनको काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। आलम ये रहा कि उनको बीच में ही अपना भाषण रोकना पड़ गया।
दरअसल संविधान पर टिप्पणी और फिर दलितों के लिए विवादित बयान देने वाले केन्द्रीय मंत्री अंनत कुमार हेगड़े का विरोध लगातार जारी है।
इसी दौरान मैसूर के राजेंद्र कलामंदिर में फिर कुछ नेताओं समेत लोगों ने हेगड़े के बयान पर उस वक्त अपना गुस्सा दिखाया जब अमित शाह वहां एक दलित समुदाय से मिलने पहुंचे।
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खबरों के मुताबिक़ अमित शाह यहां चुनाव के मद्देनजर अपना भाषण दे रहे थे कि तभी कुछ विरोधियों ने हेगड़े के बयान के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।
इस दौरान शाह को अपना भाषण कुछ देर के लिए बीच में ही रोकना पड़ा। जिसके बाद वहां मौजूदा सुरक्षाकर्मियों ने नारेबाजी कर रहे लोगों को वहां से बाहर कर दिया।
बता दें 49 वर्षीय हेगड़े ने कहा था कि एक नया चलन शुरू हो गया है, जिसमें लोग खुद को धर्मनिरपेक्ष बताने की कोशिश करते हैं।
हेगड़े ने दृढ़तापूर्वक कहा कि उन्हें खुशी होती यदि लोग खुद को गर्व से कहते कि वह मुस्लिम हैं या ईसाई हैं या लिंगायत, ब्राह्मण या हिंदू हैं। उनके इस बयान के बाद कांग्रेस पार्टी और कई दलित समूहों ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया था।
वहीं मैसूर में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए शाह ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर सीधा हमला बोला।
बीजेपी अध्यक्ष ने कहा, ‘जुबान फिसलने के कारण मैंने सिद्धारमैया (कर्नाटक के मुख्यमंत्री) के बजाय बीएस। येदियुरप्पा सरकार को भ्रष्ट बोल दिया था। इसके बाद पूरी कांग्रेस पार्टी ही खुशियां मनाने लगी थी। मैं राहुल गांधी को बताना चाहता हूं कि मैं गलती कर सकता हूं, लेकिन कर्नाटक की जनता नहीं।’
दरअसल, अमित शाह 27 मार्च को कर्नाटक में प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे। उन्होंने राज्य की सिद्धारमैया सरकार पर जमकर हमला बोला था। इसी दौरान उनकी जुबान फिसल गई और सिद्धारमैया के बजाय अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बीएस। येदियुरप्पा को भ्रष्ट बता दिया था।
इस बात से विपक्ष को भाजपा के खिलाफ मुंह खोलने का मौक़ा मिल गया। सभी ने एक के बाद एक करके इस पर चुटकी लेना शुरू कर दिया।
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