
मॉस्को में भारत-रूस व्यापार मंच को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस के बीच का रिश्ता वर्तमान समय में सबसे स्थिर रिश्तों में से एक है। उन्होंने रूसी कंपनियों से भारतीय समकक्षों के साथ ‘अधिक गहन’ सहयोग की अपील की, क्योंकि भारत तेजी से बढ़ रहा है और ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहल ने विदेशी व्यवसायों के लिए नए अवसर खोले हैं।

जयशंकर ने कहा, “मेक इन इंडिया और अन्य ऐसी पहलों ने विदेशी व्यवसायों के लिए नए रास्ते खोले हैं। भारत का आधुनिकीकरण और शहरीकरण अपनी मांगें पैदा कर रहा है, जो उपभोग और जीवनशैली में बदलाव से उत्पन्न हो रही हैं।” उन्होंने आगे कहा, “इन सभी आयामों से रूसी कंपनियों के लिए भारतीय समकक्षों के साथ अधिक गहन सहयोग का न्योता है। हमारा प्रयास उन्हें इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित करना है।”
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत और रूस के बीच रिश्ता हमेशा से स्थिर रहा है, लेकिन व्यापार में संतुलन और विविधता की जरूरत है। जयशंकर ने कहा, “हमारा व्यापारिक दायरा सीमित है और हाल तक हमारा व्यापार volume भी कम था। हाल के वर्षों में यह बढ़ा है, लेकिन इसके साथ ही व्यापार घाटा भी बढ़ा है। व्यापार में विविधता और संतुलन के लिए अब और अधिक प्रयासों की जरूरत है। यह न केवल उच्च व्यापार लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, बल्कि मौजूदा स्तरों को बनाए रखने के लिए भी जरूरी है।”
जयशंकर ने निवेश और संयुक्त उद्यमों की दिशा में भारत की तत्परता को रेखांकित करते हुए कहा कि दोनों देश एक-दूसरे के विकास और प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। उन्होंने कहा, “सरकारों के रूप में हमारा उद्देश्य आर्थिक गतिविधियों के लिए मार्गदर्शन और अनुकूल परिस्थितियां प्रदान करना है।
व्यापार के साथ-साथ निवेश, संयुक्त उद्यम और अन्य सहयोग के रूपों पर विचार करने की इच्छा बढ़ रही है। मैं और रूस के प्रथम उप-प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव यहाँ आपको इन प्रक्रियाओं को प्रोत्साहित करने के लिए हैं। हम यह स्पष्ट संदेश देना चाहते हैं कि एक स्थायी रणनीतिक साझेदारी के लिए मजबूत और टिकाऊ आर्थिक आधार जरूरी है।”
 
 





