24 साल बाद भी फांसी से बच गया अबू सलेम? जानिए क्यों
मुंबई : साल 1993 में मुंबई में हुए एक के बाद एक दर्जन भर बम धमाके के मामले में अबू सलेम समेत पांच दोषियों को विशेष टाडा कोर्ट गुरुवार को सजा सुना दी। इन धमाकों में 257 लोगों की मौत हुई थी। कोर्ट ने दो आरोपियों को फांसी, दो को उम्रकैद और एक को 10 साल की सजा सुनाई है। फैसले की सबसे ख़ास बात ये है कि इन हमलों का ताना-बाना बुनने वाले मास्टरमाइंड अबू सालेम को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।
अबू सलेम को क्यों नहीं हुई फांसी?
कोर्ट के इस हैरानी भरे फैसले पर सभी को आश्चर्य जरूर हुआ लेकिन ऐसा करना कोर्ट की मजबूरी थी। सलेम के भारत प्रत्यर्पण के लिए भारत की तरफ से लालकृष्ण आडवाणी ने लिखित तौर पर पुर्तगाल सरकार और कोर्ट को यह आश्वासन दिया था कि वो सलेम को 25 साल से अधिक जेल में नहीं रखेंगे।
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इसके अलावा भारत सरकार की तरफ से पुर्तगाल को यह आश्वासन दिया गया था कि उसे मौत की सजा भी नहीं दी जाएगी। इसके बाद ही सालेम को भारत लाया जा सका था। अबू सलेम के 2005 में हुए प्रत्यर्पण के बाद से 12 से 13 साल की सजा काट चुका है।
अदालत ने जून में छह आरोपियों अबू सलेम, मुस्तफा दौसा, फिरोज अब्दुल राशिद खान, ताहिर मर्चेंट, करीमुल्लाह खान और रियाज सिद्दीकी को दोषी माना था। इस बीच एक की मौत हो गई, जबकि अब्दुल कयूम को अदालत ने बरी कर दिया था। इस कारण गुरुवार को पांच दोषियों को सजा सुनाई गई।
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अदालत ने सलेम को हथियार लाने और बांटने का दोषी माना था। वहीं दौसा को मुख्य साजिशकर्ता के तौर पर ब्लास्ट और हत्या करने का दोषी माना था। दौसा ने ही अबू सलेम के घर पर हमलों की साजिश रची थी। उस पर विस्फोटक लाने के लिए अबू सलेम को कार देने का भी आरोप है।
ये था मामला
12 मार्च 1993 को मुंबई में एक के बाद एक 12 बम धमाके हुए थे। इन बम धमाकों में 257 लोगों की जान गई थी, जबकि 712 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे। मुंबई ब्लास्ट मामले में जांच एजेंसी की तरफ से 129 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया था।