बदायूं जिले के उझानी क्षेत्र में कुड़ा नरसिंहपुर गांव स्थित मनोज गोयल की भारत मिंट एंड एलाइड केमिकल्स मेंथा ऑयल फैक्ट्री में बुधवार रात करीब 10:30 बजे तेज आंधी के कारण 150 फीट ऊंची चिमनी गिरने से भीषण आग लग गई। आग ने देखते ही देखते विकराल रूप ले लिया, और फैक्ट्री में रखे नाइट्रोजन सिलेंडरों में एक के बाद एक करीब 100 धमाके हुए, जिससे आसपास के गांवों में दहशत फैल गई।

20 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद गुरुवार शाम 6 बजे फायर ब्रिगेड ने आग पर काबू पाया। इस दौरान बदायूं, बरेली, मुरादाबाद, संभल, और कासगंज से दमकल की 9 से 11 गाड़ियां और फोम फायर टेंडर बुलाए गए।
जिला अग्निशमन अधिकारी नीलू परी ने बताया कि आग की शुरुआत पुराने बॉयलर पर बिजली के तार गिरने से हुई स्पार्किंग के कारण हुई। फैक्ट्री में क्रिस्टल बनाने का काम होता था, और केमिकल की मौजूदगी के कारण आग तेजी से फैली। बीच-बीच में छोटी लपटें उठती रहीं, जिसे नियंत्रित करने में समय लगा। प्राथमिक जांच में सामने आया कि फैक्ट्री के पास अग्निशमन यंत्र थे, लेकिन उनकी कार्यक्षमता पर सवाल हैं, क्योंकि इनका उपयोग शुरूआत में नहीं किया गया। आग बुझने के बाद विस्तृत जांच की जाएगी।
घटना के बाद पुलिस और प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए कुड़ा नरसिंहपुर गांव (लगभग 900 निवासियों) को खाली कराया, और आसपास के छह गांवों के करीब 20,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। संजरपुर, हजरतगंज, और अन्य गांवों के बारातघर, मंदिर, और धर्मशालाओं में लोगों को ठहराया गया। संजरपुर के ग्रामीणों, जैसे अशोक तोमर, प्रदीप तोमर, और कुश तोमर, ने ट्रैक्टर-ट्रॉली से प्रभावित महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया और उनके लिए चाय-नाश्ते की व्यवस्था की।
डीएम अवनीश राय और एसएसपी बृजेश कुमार सिंह ने घटनास्थल का दौरा किया। डीएम ने बताया कि कोई जनहानि नहीं हुई, एक मजदूर आंशिक रूप से घायल हुआ, और कुछ पशुओं की मौत हुई। मुआवजे की प्रक्रिया एडीएम वित्त एवं राजस्व के स्तर पर शुरू की गई है। हालांकि, कुछ स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया पोस्ट्स में दावा किया गया कि फैक्ट्री में सैकड़ों मजदूर मौजूद थे, और कुछ के फंसे होने की आशंका थी, लेकिन प्रशासन ने इसकी पुष्टि नहीं की।
उपायुक्त उद्योग अशोक उपाध्याय ने बताया कि मेंथा फैक्ट्री का पंजीकरण उद्यम पोर्टल पर भारत सरकार के माध्यम से होता है, और जिला उद्योग केंद्र के पास ऐसी फैक्ट्रियों की जानकारी नहीं होती। फैक्ट्री के पास दमकल विभाग से एनओसी थी, लेकिन अग्निशमन यंत्रों की स्थिति की जांच होगी। मनोज गोयल के पिता विजेंद्र गोयल ने बताया कि फैक्ट्री का इंश्योरेंस चार दिन पहले समाप्त हो चुका था, जिससे परिवार आर्थिक रूप से टूट गया।