एक पहाड़ी लड़का यूपी में रचा इतिहास,37 वर्षों का तोड़ा रेकॉर्ड

दिलीप कुमार

कौन जाना था कि एक पहाड़ी लड़का यूपी में दोबारा सीएम बनकर इतिहास रच देगा। ये वही राजनेता हैं जिनका नाम विधानसभा 2017 के चुनाव प्रचार में बीजेपी के स्टार प्रचारक के लिस्ट तक में नाम नहीं था।

विधानसभा चुनाव 2017 में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद सीएम की तलाश थी। बीजेपी ने एक सीएम की लिस्ट तैयार की थी और उस लिस्ट में केशव प्रसाद मौर्या, मनोज सिंहा समेत कई दिग्गजों का नाम था। सीएम के इस रेस में उस शख्स का नाम आ जाए जिसका किसी ने आशा भी नहीं किया था।

सीएम के नाम का घोषणा करने के लिए वैंकैया नायडू दिल्ली से लखनऊ आते हैं और वो उसी पहाड़ी लड़के यानी योगी आदित्यनाथ के नाम की घोषणा करके लोगों को सरप्राइज्ड कर देते हैं। सीएम के लिए योगी के नाम का घोषणा होने के बाद प्रदेश भर में दो धड़ों में संवाद होने लोगा। एक धड़ ऐसा था जो योगी के उम्मीदवारी के समर्थन में था तो वहीं दूसरा धड़ था जो खिलाफ था।

अजय मोहन बिष्ट से योगी बनें योगी आदित्य नाथ का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। अजय मोहन बिष्ट के बारे लोग कहते हैं कि वो एक बार अपने रिस्तेदारों के सलाह पर स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया में शामिल हो गए थे। अजय को बाद इस संगठन का विचारधारा रास नहीं आया और वो इस संगठन से बाहर निकल गए। इसके बाद वो आरएसएस के छात्र ईकाई ‘अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद’ में शामिल हो गए।

योगी के जीवनी लिखने वाले शांतनु गुप्ता की अगर माने तो वो बताते हैं कि योगी अपने छात्र जीवन में गपशप से दूर रहने वाले एक जिज्ञासु छात्र थे। योगी की मुलाकात गोरखपुर के मठ के दूसरे महंत अवैद्यनाथ से तब मिले थे जब राम जन्मभूमि आंदोलन चल रहा था। उन्होने महंत अवैद्यनाथ को इस कदर प्रभावित किया कि उन्हें महंत अवैद्यनाथ वर्ष 1993 में मठ के प्रमुख की अगली पंक्ति में शामिल करने का संकेत दे दिए। उन दिनों धार्मिक संगठन से जुड़े लोग योगी को छोटे महंत कहकर पुकारते थे।
योगी को गोरक्ष मठ का महंत वर्ष 1994 में बनाया गया और उसके बाद फिर क्या था योगी की राजनीतिक सफर का शुरूआत 1996 मे होता है। वो पहली बार 26 वर्ष की उम्र में लोकसभा पहुंच जाते हैं।

यदा यदा योगी के नाम से जीवनी लिखने वाले लेखक विजय त्रिवेदी बताते हैं कि योगी की छवि शुरूआती दौर में ही मुस्लिम विरोधी हिंदू नेता के रूप में बन चुकी थी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि योगी एक सख्त नेता हैं, जो पूर्वी यूपी में एक पंथ के तौर पर उभरे हैं, इसके साथ ही योगी पर ध्रवीकरण के आरोप भी लगते रहे हैं।

आपको बता दें कि पिछले 37 वर्षों में यूपी में कोई भी सीएम रीपीट नहीं किया लेकिन इस बार सीएम योगी ने लगातार दूसरी बार जनादेश पाकर इतिहास रच दिया है। अब योगी आदित्यनाथ का दूसरा कार्यकाल कैसा होगा इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता है। हॉ ये जरूर है कि योगी पिछले कार्यकाल में जिन निर्णयों को लेने में हिचकते थे लेकिन अब वो किसी भी निर्णय लेने के लिए सक्षम हो गए हैं।

LIVE TV