टूट गया सपना, नौसेना के काबिल नहीं है फाइटर प्लेन तेजस

फाइटर प्लेन तेजसनई दिल्ली। भारतीय नौसेना ने देश में बने पहले फाइटर प्लेन तेजस के नेवी वर्जन को रिजेक्ट कर दिया है। नौसेना का कहना है कि ज्यादा वजन की वजह से एयरक्राफ्ट कैरियर से इनके ऑपरेशन में दिक्कत हो रही है। अब नौसेना  इसका ऑप्शन तलाशने के बारे में विचार कर रही है।

फ्यूल और हथियारों ने बढ़ाया वजन

एक मीडिया रिर्पोट के मुताबिक, नेवी चीफ एडमिरल सुनील लांबा की माने तो, सिंगल इंजन वाला तेजस फुल टैंक फ्यूल भरने और हथियारों से लैस होने के बाद काफी भारी हो जाता है। ऐसे में, एयरक्राफ्ट कैरियर से इसके टेक ऑफ और लैंडिंग में दिक्कत आती है।”

फिलहाल, नौसेना के पास इस वक्‍त रूस से खरीदे गए 30 मिग-29K फाइटर प्लेन है जो उसने अपने बेड़े में शामिल किए हैं। इससे पहले कहा गया था कि मिग-29K और तेजस को आईएनएस विक्रमादित्य और 2019-20 तक तैयार होने वाले आईएनएस विक्रांत पर तैनात किया जाएगा।

लांबा ने कहा, “हम अपने दो एयरक्राफ्ट कैरियर से हल्के एयरक्राफ्ट के ऑपरेशन की उम्मीद करते हैं। फिलहाल, नेवी ऐसे एयरक्राफ्ट की पहचान करने में लगी है जो ऑपरेशन में खरा उतरे।”

तेजस को एयरफोर्स में किया था शामिल

मालूम हो कि तेजस को इसी साल एयरफोर्स में शमिल किया गया था। यह स्वदेशी तकनीक वाला पहला फाइटर प्लेन है। इसकी अधिकतम गति 2205 किलोमीटर/घंटे है। यह 3000 किलोमीटर तक मार कर सकता है। इसका कुल वजन 6500 किलोग्राम है और लंबाई 13 मीटर है।

यह है खासियत

तेजस एयर-टू-एयर और एयर-टू-सरफेस मिसाइल दागने में कैपेबल है। साथ ही इससे एंटीशिप मिसाइल, बम और रॉकेट को भी दागा जा सकता है। इस लड़ाकू विमान को 42% कार्बन फाइबर, 43% एल्यूमिनियम अलॉय और टाइटेनियम मिलाकर बनाया गया है। यह विमान सिंगल सीटर है और इसका ट्रेनर वेरिएंट टू सीटर है। अब तक यह कुल 3184 बार उड़ान भर चुका है।  तेजस 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। इस लड़ाकू विमान की डेवलपमेंट कॉस्ट 7 हजार करोड़ रही थी।

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