जैसे मछली दृष्टी से, कछुआ ध्यान देकर और पंछी स्पर्श करके अपने बच्चो को पालते है, वैसे ही संतजनों की संगती मनुष्य का पालन पोषण करती है। Kush TiwariNovember 30, 2016 - 12:07 am Less than a minute