
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार रात राष्ट्र के नाम संबोधन के जरिए 500 और 1000 के नोटों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन सरकार ने ये फैसला रातों-रात नहीं लिया बल्कि इस योजना पर पूरे छह महीनों से काम किया जा रहा था। इसका मकसद सिर्फ ब्लैक मनी पर कंट्रोल ही नहीं, बल्कि जाली नोटों से निजात पाना भी था।
खबरों के मुताबिक सरकार के इस फैसले की जानकारी कुछ मुट्ठी भर लोगों को थी। ये लोग थे-प्रिंसिपल सेक्रटरी नृपेंद्र मिश्रा, पूर्व और वर्तमान आरबीआई गवर्नर, वित्त सचिव अशोक लवासा, आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास और वित्त मंत्री अरुण जेटली। बताया जा रहा है कि योजना को लागू करने की प्रक्रिया दो महीने पहले शुरू हुई।