
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने हिंदी न्यूज चैनल एनडीटीवी इंडिया के प्रसारण पर लगाए गए एक दिन के बैन के आदेश पर कदम पीछे खींच लिए हैं। सरकार ने फिलहाल अपने आदेश को स्थगित कर दिया है। जानकारी के मुताबिक, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने यह फैसला किया।
इससे पहले सरकार ने चैनल को 9 नवंबर को एक दिन के लिए ऑफ एयर करने का आदेश दिया था। चैनल पर इस बैन की वजह इस साल जनवरी में पंजाब के पठानकोट स्थित एयरबेस पर हुए आतंकी हमले के दौरान प्रसारण नियमों का उल्लंघन बताई गई थी। सरकार के इस फैसले के खिलाफ एनडीटीवी इंडिया ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। चैनल का कहना है कि यह बैन बिल्कुल गैरकानूनी और असंवैधानिक है।
सरकार ने माना था, देश की सुरक्षा से खिलवाड़
सरकार का कहना था कि चैनल ने पठानकोट हमले की कवरेज के दौरान कुछ संवेदनशील सूचनाएं सार्वजनिक कर दी थी, जिसका इस्तेमाल हमले में शामिल आतंकवादियों के हैंडलर्स कर सकते थे। इस मामले में जांच के लिए बनाई गई कमिटी ने माना था कि कवरेज के दौरान एनडीटीवी इंडिया ने एयरबेस में मौजूद हथियारों की जानकारी दी थी। जिस वक्त एयरबेस में ऑपरेशन चल रहा था, उस दौरान चैनल ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि वहां हथियारों के अलावा एमआईजी, फाइटर प्लेन, रॉकेट लॉन्चर, मॉर्टार, हेलिकॉप्टर और फ्यूल टैंक भी रखे हैं। कमिटी ने इस तरह की कवरेज को देश की सुरक्षा से खिलवाड़ माना था।
इसी समिति की सिफारिश पर सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने केबल टीवी नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम के तहत अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए पूरे देश में एक दिन के लिए चैनल को 9 नवंबर 2016 को रात 12:01 बजे से 10 नवंबर 2016 को रात 12:01 बजे तक प्रसारण पर रोक लगाने का आदेश दिया था।
चैनल का तर्क
सरकार के इन आरोपों पर एनडीटीवी ने कहा था कि चैनल पर जो कॉन्टेंट प्रसारित किया गया था, उनमें से अधिकांश चीजें पहले ही प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया पर मौजूद थीं। एनडीटीवी ने कहा था कि कवरेज के दौरान लगभग सभी चैनलों ने ऐसा ही कॉन्टेंट दिखाया था तो सिर्फ उस पर ही कार्रवाई क्यों?
चौतरफा हुई थी आलोचना
सरकार के इस कदम की चौतरफा आलोचना हुई थी। कई बड़े नेताओं और पूरे मीडिया जगत ने एक सुर में इस बैन को गलत माना था। इसे ‘मीडिया की स्वतंत्रता का हनन’ बताया गया था। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इस प्रतिबंध के आदेश को स्तब्ध करने वाला और अभूतपूर्व बताया था। वहीं पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा था कि इस फैसले से लग रहा है कि देश में आपातकाल जैसे हालात हैं।