संविधान दिवस: राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा- संविधान औपनिवेशिक मानसिकता छोड़ राष्ट्रवादी सोच अपनाने का मार्गदर्शक

आज 26 नवंबर को देश 76वाँ संविधान दिवस मना रहा है। संसद के सेंट्रल हॉल, जिसे अब ‘संविधान सदन’ कहा जाता है, में आयोजित भव्य कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हमारा संविधान औपनिवेशिक मानसिकता को त्यागकर राष्ट्रवादी चेतना अपनाने का सबसे बड़ा दस्तावेज है।

उन्होंने कहा कि संविधान ने भारत की आत्मस्वाभिमान और गरिमा को सुरक्षित रखा है तथा संविधान निर्माताओं की यही इच्छा थी कि हमारी व्यक्तिगत और लोकतांत्रिक अधिकार हमेशा संरक्षित रहें।

राष्ट्रपति ने मलयालम, मराठी, नेपाली, पंजाबी, बोडो, कश्मीरी, तेलुगु, ओडिया और असमिया — इन नौ भारतीय भाषाओं में संविधान की डिजिटल प्रति जारी की। साथ ही ‘भारत के संविधान में कला और कैलिग्राफी’ नामक स्मारिका पुस्तिका भी विमोचित की।

उप-राष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि संविधान की आत्मा ने सिद्ध कर दिया है कि भारत एक था, एक है और हमेशा एक रहेगा। उन्होंने सामाजिक न्याय, कमजोर वर्गों के आर्थिक सशक्तिकरण और विकसित भारत के लक्ष्य पर जोर देते हुए अमृत काल में सबको साथ चलने का आह्वान किया।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि यह पवित्र कक्ष वही स्थान है जहाँ तीव्र चर्चा, संवाद और चिंतन के बाद हमारा संविधान आकार लिया। पिछले सात दशकों में संविधान के मार्गदर्शन में हमने सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नीतियाँ और कानून बनाए हैं।

कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

2015 से हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन 1949 में संविधान सभा ने संविधान को अंगीकृत किया था। कुछ प्रावधान तुरंत लागू हुए थे, जबकि अधिकांश 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुए जब भारत गणराज्य बना।

LIVE TV