
पाकिस्तान के आर्मी चीफ फील्ड मार्शल असीम मुनीर ने एक बार फिर भारत के खिलाफ जहरीले बयान दिए हैं। रावलपिंडी स्थित सेना मुख्यालय में 17वीं राष्ट्रीय कार्यशाला बलूचिस्तान को संबोधित करते हुए मुनीर ने भारत पर बलूचिस्तान में प्रॉक्सी संगठनों को खड़ा करने का हास्यास्पद आरोप लगाया।
उन्होंने दावा किया कि भारत प्रायोजित ‘फितना-अल-हिंदुस्तान’ और ‘फितना-अल-ख्वारिज’ जैसे छद्म समूह हिंसा फैलाने के लिए विकास-विरोधी और जनविरोधी एजेंडा चला रहे हैं। यह बयान ऐसे समय आया जब पाकिस्तानी सेना तालिबानी लड़ाकों और बलूच विद्रोहियों के हमलों से बुरी तरह जूझ रही है, और आर्मी जनता के गुस्से का शिकार हो रही है।
मुनीर ने कहा कि बलूचिस्तान में आतंकवादियों का सफाया करने और स्थायी शांति बहाल करने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने बलूचिस्तान को पाकिस्तान का ‘गौरव’ बताते हुए वहां के निवासियों को जिंदादिल, लचीला और देशभक्त करार दिया, जो प्रांत की असली संपत्ति हैं। मुनीर ने संघीय और प्रांतीय सरकारों की विकास योजनाओं का भी जिक्र किया, लेकिन मुख्य रूप से भारत पर फोकस करते हुए आरोप लगाया कि ये प्रॉक्सी समूह बीएलए (बलूच लिबरेशन आर्मी) और बीएलएफ (बलूच लिबरेशन फ्रंट) जैसे विद्रोही संगठनों को समर्थन दे रहे हैं, साथ ही खैबर पख्तूनख्वा में सक्रिय टीटीपी (तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) को भी फंडिंग कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि पाकिस्तान इन नेटवर्क्स को कुचलने के लिए निर्णायक कार्रवाई करेगा।
यह बयान पाकिस्तान की आंतरिक नाकामियों को छिपाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। बलूचिस्तान में बढ़ते विद्रोह और तालिबान हमलों के बीच पाक आर्मी पर असफलता के आरोप लग रहे हैं। मुनीर की ‘मुल्ला मुनीर’ वाली छवि पहले ही विवादों में है, और जनता का गुस्सा सड़कों पर उतर आया है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत पर आरोप लगाकर पाकिस्तान अपनी कमजोरियों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में जुलाई में भी मुनीर ने भारत पर प्रॉक्सी युद्ध तेज करने का आरोप लगाया था, जब बीएलए ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के सदस्यों की हत्या की जिम्मेदारी ली थी।
भारत ने ऐसे सभी आरोपों को हमेशा बकवास बताकर खारिज किया है। पाकिस्तान की यह पुरानी रणनीति अब दुनिया में हंसी का पात्र बन चुकी है, खासकर जब खुद पाकिस्तान वैश्विक आतंकवाद का केंद्र माना जाता है। मुनीर के बयान से क्षेत्रीय तनाव बढ़ने की आशंका है, लेकिन भारत की विदेश नीति मजबूती से आगे बढ़ रही है।