
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए बेसिक शिक्षा विभाग को निर्देश दिए हैं कि शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) की अनिवार्यता पर रिवीजन याचिका दाखिल की जाए।
सीएम ने कहा कि प्रदेश के शिक्षक अत्यंत अनुभवी हैं और समय-समय पर सरकार द्वारा उन्हें प्रशिक्षण प्रदान किया जाता रहा है। ऐसे में उनकी योग्यता और लंबे सेवा वर्षों को नजरअंदाज करना उचित नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या था?
सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितंबर 2025 को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था, जिसमें कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों के लिए TET पास करना अनिवार्य कर दिया गया। अदालत ने कहा कि जो शिक्षक TET पास नहीं कर पाएंगे, उन्हें दो वर्ष के अंदर परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी, अन्यथा उनकी नौकरी पर संकट आ सकता है। यह फैसला RTE एक्ट 2009 के तहत शिक्षकों की न्यूनतम योग्यता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया था। हालांकि, जिन शिक्षकों के रिटायरमेंट में 5 वर्ष से कम समय बचा है, उन्हें कुछ राहत दी गई है।
इस फैसले से उत्तर प्रदेश में करीब 2 लाख शिक्षकों पर संकट के बादल मंडरा गए थे, खासकर उन शिक्षकों के लिए जो 2011 से पहले नियुक्त हुए थे और TET से छूट की उम्मीद कर रहे थे।
सीएम योगी का निर्देश और शिक्षकों को राहत
मुख्यमंत्री कार्यालय ने मंगलवार (16 सितंबर 2025) को एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट साझा कर इसकी जानकारी दी। पोस्ट में कहा गया, “मुख्यमंत्री जी ने बेसिक शिक्षा विभाग के सेवारत शिक्षकों के लिए TET की अनिवार्यता पर माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश का रिवीजन दाखिल करने का विभाग को निर्देश दिया है।” सीएम ने जोर देकर कहा कि अनुभवी शिक्षकों को उनकी सेवा के आधार पर TET की बाध्यता से मुक्त रखना चाहिए।
शिक्षक संगठनों ने इस निर्णय का स्वागत किया है। यूपी टीचर्स फेडरेशन के अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि यह कदम शिक्षक हित में सराहनीय है और इससे लाखों शिक्षकों को राहत मिलेगी। संगठनों का कहना है कि कई शिक्षक रिटायरमेंट के करीब हैं और TET की तैयारी उनके लिए बोझ साबित हो सकती है।
TET अनिवार्यता का व्यापक प्रभाव
TET को अनिवार्य बनाने का फैसला राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE) के दिशानिर्देशों पर आधारित है, जो RTE एक्ट के अनुरूप है। यह सरकारी, सहायता प्राप्त और अल्पसंख्यक संस्थानों के शिक्षकों पर लागू होता है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अल्पसंख्यक संस्थानों के लिए अभी अलग से निर्देश जारी नहीं किए हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार का यह कदम न केवल राज्य के शिक्षकों को राहत देगा, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल कायम कर सकता है। विभाग को जल्द ही रिवीजन याचिका दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं।