सुप्रीम कोर्ट ने ED को लगाई फटकार, कहा- ‘राजनीतिक लड़ाई और दुरुपयोग पर पूछ लिया बड़ा सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को दो मामलों में कड़ी फटकार लगाई: एक, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी बी.एम. पार्वती और मंत्री बायरति सुरेश के खिलाफ MUDA मामले में ED की अपील, और दूसरा, वकीलों को दी गई कानूनी सलाह के लिए ED द्वारा समन जारी करने पर स्वत: संज्ञान लिया गया मामला।

MUDA मामला
सुप्रीम कोर्ट ने ED की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें कर्नाटक हाईकोर्ट के 7 मार्च 2025 के फैसले को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में पार्वती और सुरेश के खिलाफ ED की कार्यवाही को रद्द कर दिया था। यह मामला मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) द्वारा कथित अनियमित भूखंड आवंटन से संबंधित है, जिसमें पार्वती को 3.2 एकड़ जमीन के बदले 14 भूखंड आवंटित किए गए थे, जिनकी कीमत मूल जमीन से अधिक थी।

मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने ED से सवाल किया, “जब निचली अदालत और हाईकोर्ट ने एकमत फैसला दिया, तो अपील क्यों?” उन्होंने कहा, “राजनीतिक लड़ाई जनता के बीच लड़ी जाए, ED का दुरुपयोग क्यों हो रहा है? मेरे पास महाराष्ट्र में ED के साथ अनुभव है। हमें कठोर टिप्पणी करने के लिए मजबूर न करें।”

ED की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने अपील वापस लेने की पेशकश की, लेकिन इसे नजीर न मानने का अनुरोध किया। CJI ने जवाब दिया, “हम हाईकोर्ट के तर्क में कोई त्रुटि नहीं पाते। खास परिस्थितियों में अपील खारिज करते हैं। आपको धन्यवाद, आपने हमें कठोर टिप्पणी से बचा लिया।”

वकीलों को समन का मामला
सुप्रीम कोर्ट ने ED द्वारा वरिष्ठ वकीलों, जैसे अरविंद दातार, को उनके क्लाइंट्स को दी गई कानूनी सलाह के लिए समन जारी करने पर स्वत: संज्ञान लिया। सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA), सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) और अन्य कानूनी संगठनों ने हस्तक्षेप याचिकाएं दायर की थीं।

वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि ED की कार्रवाई से वकालत पेशे पर “भयावह प्रभाव” पड़ रहा है। उन्होंने तुर्की और चीन के उदाहरण देते हुए दिशानिर्देश बनाने की मांग की। CJI गवई ने सहमति जताते हुए कहा, “वकील की सलाह गलत हो, तब भी उसे समन कैसे किया जा सकता है? यह विशेषाधिकार प्राप्त संचार है। दिशानिर्देश जरूरी हैं।”

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि ED के खिलाफ नकारात्मक नैरेटिव बनाया जा रहा है। CJI ने जवाब दिया, “हम कई मामलों में देख रहे हैं कि हाईकोर्ट के तर्कसंगत आदेशों के बाद भी ED अपील कर रहा है। हम अखबार या यूट्यूब नहीं देखते।”

अरविंद दातार के स्पेन में समन मिलने से मानसिक तनाव की बात सामने आई, जिसके बाद ED ने छह घंटे में समन वापस लिया। CJI ने स्पष्ट किया, “वकील को समन से पहले अनुमति लेनी होगी। हत्या छिपाने की सलाह देना अपराध है, लेकिन सामान्य सलाह के लिए समन गलत है।”

LIVE TV