लखनऊ आम महोत्सव में अफरा-तफरी, प्रदर्शनी के आमों की लूट, वायरल वीडियो ने उठाए आयोजन और व्यवहार पर सवाल

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अवध शिल्पग्राम में 4 से 6 जुलाई 2025 तक आयोजित तीन दिवसीय आम महोत्सव का समापन रविवार (6 जुलाई) को अव्यवस्था और लूटपाट के साथ हुआ। यह आयोजन, जो भारत के प्रिय फल आम की 600 से अधिक किस्मों को प्रदर्शित करने और बागवानों को प्रोत्साहित करने के लिए था, अंतिम दिन बेकाबू भीड़ के कारण बदनामी का शिकार हो गया।

महोत्सव के समापन के दौरान, मंच से पुरस्कार वितरण की घोषणा को कुछ लोगों ने गलती से “आम वितरण” समझ लिया। इसके बाद भीड़ प्रदर्शनी क्षेत्र में रखे गए आमों पर टूट पड़ी, जो केवल प्रदर्शन के लिए थे। लोग थैलों, दुपट्टों, साड़ियों और जेबों में आम भरकर ले गए। कुछ ही सेकंड में टेबलें खाली हो गईं, और वहां सिर्फ छिलके बचे। वायरल वीडियो में दिखा कि महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग तक इस लूट में शामिल थे, जिससे अफरा-तफरी का माहौल बन गया। आयोजकों के हस्तक्षेप की कोशिश नाकाम रही, क्योंकि स्थिति पहले ही बेकाबू हो चुकी थी।

आयोजन और अतिथि
उत्तर प्रदेश बागवानी विभाग द्वारा आयोजित इस महोत्सव का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था। इसमें भोजपुरी गायक-अभिनेता पवन सिंह और कवि कुमार विश्वास जैसे विशिष्ट अतिथि शामिल हुए। 800 से अधिक आम की किस्में, जैसे दशहरी, लंगड़ा, चौसा, मालदा, और विशेष “मोदी मैंगो”, प्रदर्शित की गईं। महोत्सव में बागवानों के लिए कार्यशालाएं, सांस्कृतिक कार्यक्रम, और आम से बने व्यंजनों की प्रतियोगिताएं भी थीं।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
वायरल वीडियो ने सोशल मीडिया पर तीखी बहस छेड़ दी है। कई यूजर्स ने नागरिक व्यवहार और आयोजन प्रबंधन पर सवाल उठाए। एक यूजर ने लिखा, “हमारी संस्कृति में कभी आत्मसम्मान, ईमानदारी और सत्यनिष्ठा की कद्र थी। यह देखकर दिल टूटता है कि हमने इसे खो दिया।” एक अन्य ने टिप्पणी की, “निम्न आत्मसम्मान और नागरिक बोध की कमी अराजकता और भगदड़ का सही नुस्खा है।” कुछ ने हल्के अंदाज में कहा, “थोड़ा और समय दीजिए, लोग टेबल और कवर भी घर ले जाएंगे।” एक यूजर ने लिखा, “100 रुपये में 4-5 किलो आम बाजार में मिल रहे हैं, फिर भी मुफ्त के लिए ऐसी लूट? यह मानसिकता देश को पीछे ले जा रही है।”

आयोजकों की प्रतिक्रिया
आयोजकों ने स्वीकार किया कि उन्हें अंतिम दिन इतनी भीड़ की उम्मीद नहीं थी। उन्होंने कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए बेहतर योजना और सुरक्षा व्यवस्था की जाएगी। हालांकि, आयोजकों की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।

यह घटना लखनऊ की तहजीब और नागरिक बोध पर सवाल उठाती है। सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने इसे “लखनऊ की सांस्कृतिक छवि पर धब्बा” करार दिया, जबकि अन्य ने आयोजकों की भीड़ प्रबंधन में कमी पर निशाना साधा।

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