
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर प्रदेश की नौकरशाही पर गंभीर आरोप लगाए हैं। नंदी ने अफसरों पर उनके निर्देशों की अवहेलना, फाइलें दबाने, नीतियों के खिलाफ काम करने, और अनुचित लाभ देने के लिए नियम तोड़ने का आरोप लगाया है। इस पत्र के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने मामले की उच्चस्तरीय जांच के निर्देश दिए हैं और पूरी रिपोर्ट तलब की है।

मंत्री के प्रमुख आरोप
नंदी ने पत्र में कहा कि अफसर उनके आदेशों को नजरअंदाज कर रहे हैं और महत्वपूर्ण फाइलें मंगाकर “डंप” कर रहे हैं, जिससे योजनाएं और विकास कार्य रुक रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि कुछ अफसर नीतियों के विरुद्ध जाकर अपने स्तर पर प्रस्ताव पारित कर रहे हैं और अपने लोगों को अनुचित लाभ पहुंचा रहे हैं। कई मामलों में फाइलें गायब होने का भी आरोप है।
दो साल से अनसुनी हो रही मांगें
मंत्री ने बताया कि पिछले दो साल से उनकी बार-बार मांग के बावजूद कई महत्वपूर्ण फाइलें उपलब्ध नहीं कराई गईं। उन्होंने 7 अक्टूबर 2024 को इस संबंध में एक सूची मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी थी। 29 अक्टूबर 2024 को सीएम ऑफिस ने एक सप्ताह में फाइलें पेश करने का निर्देश दिया, लेकिन छह महीने बीतने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके अलावा, तीन साल पहले विभाग में कार्य बंटवारे के लिए दिए गए निर्देशों की फाइल भी गायब हो गई। नंदी ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ मामलों में एक जैसी परिस्थितियों में किसी को लाभ दिया गया, जबकि अन्य के आवेदन खारिज कर दिए गए। एक ऐसे ही मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद एक वरिष्ठ अधिकारी को हटाया गया था।
जांच के निर्देश और अफसरों की तैयारी
मुख्यमंत्री कार्यालय ने नंदी की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, वरिष्ठ अधिकारी अब मंत्री के आरोपों का जवाब देने के लिए ठोस दस्तावेज और तथ्य जुटा रहे हैं। यह विवाद सरकार के अंदरूनी अंतर्विरोध को उजागर करता है, क्योंकि योगी सरकार “जीरो टॉलरेंस फॉर करप्शन” और “साफ-सुथरा प्रशासन” का दावा करती रही है।
पहले भी उठ चुके हैं सवाल
यह पहली बार नहीं है जब नंदी ने अफसरशाही पर सवाल उठाए हैं। दिसंबर 2024 में बीजेपी के एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने विधान परिषद में नंदी से कथित “दागी” अधिकारियों को मलाईदार पदों पर नियुक्त करने का सवाल उठाया था। जवाब में नंदी ने ऐसी नियुक्तियों को रद्द करने से इनकार किया था, जिसके बाद एमएलसी ने सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति पर सवाल उठाए थे।