ईरान-इस्राइल युद्ध: क्लस्टर बम के इस्तेमाल का आरोप, कितना खतरनाक है यह हथियार?

ईरान पर इस्राइल ने क्लस्टर बम इस्तेमाल का आरोप लगाया, जानें क्या हैं क्लस्टर बम, इनका इतिहास, खतरे और विवाद। द्वितीय विश्व युद्ध से रूस-यूक्रेन युद्ध तक इनका उपयोग।

ईरान और इस्राइल के बीच चल रहे युद्ध के आठवें दिन (20 जून 2025) इस्राइल ने आरोप लगाया कि ईरान ने मिसाइल हमलों में क्लस्टर बमों का इस्तेमाल किया, जो आम नागरिकों को निशाना बनाने की कोशिश थी। यह पहली बार है जब इस संघर्ष में क्लस्टर म्यूनिशन के उपयोग की बात सामने आई है। क्लस्टर बम अपनी अंधाधुंध विनाशकारी प्रकृति और लंबे समय तक खतरा बने रहने के कारण विवादित हैं। आइए, इनके बारे में विस्तार से जानते हैं।

क्लस्टर बम क्या हैं?

क्लस्टर बम एक ऐसा हथियार है, जिसमें सैकड़ों छोटे-छोटे विस्फोटक (सबम्यूनिशन या बॉमलेट्स) होते हैं। ये मिसाइल, रॉकेट, तोपखाने, या विमानों से दागे जाते हैं और हवा में फटकर बड़े क्षेत्र में बिखर जाते हैं, जिससे व्यापक विनाश होता है। इनका उपयोग मुख्य रूप से दुश्मन की पैदल सेना, बख्तरबंद वाहनों, या सैन्य ठिकानों को नष्ट करने के लिए किया जाता है। प्रत्येक बॉमलेट में 2.5 किलोग्राम तक विस्फोटक हो सकता है, जो छोटे रॉकेट के बराबर क्षति पहुंचा सकता है।

क्लस्टर बम कैसे लॉन्च किए जाते हैं?

क्लस्टर बमों को विभिन्न तरीकों से दागा जा सकता है:

  • तोपखाने: लंबी दूरी की तोपों के गोले में क्लस्टर म्यूनिशन भरे जाते हैं, जैसे M864 तोप, जो एक गोले में 76 बॉमलेट्स ले जा सकती है।
  • मिसाइल/रॉकेट: मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम (MLRS) जैसे M26A1/A2 एक बार में 518 बॉमलेट्स दाग सकते हैं।
  • विमान: लड़ाकू विमान या ड्रोन से इन्हें नीचे गिराया जाता है।
  • बैलिस्टिक मिसाइल: ईरान ने कथित तौर पर बैलिस्टिक मिसाइल (जैसे खोरमशहर-4 या शहाब-3 वेरिएंट) में क्लस्टर वॉरहेड का उपयोग किया, जो 7 किमी की ऊंचाई पर फटकर 8 किमी के दायरे में 20 बॉमलेट्स बिखेर सकता है।

क्लस्टर बम क्यों खतरनाक हैं?

  1. व्यापक विनाश: क्लस्टर बम बड़े क्षेत्र (कई फुटबॉल मैदानों जितने) को प्रभावित करते हैं, जिससे सैन्य और असैन्य दोनों लक्ष्य नष्ट हो सकते हैं।
  2. अनएक्सप्लोडेड ऑर्डनेंस (UXO): 2% से 40% तक बॉमलेट्स तुरंत नहीं फटते और जमीन पर पड़े रहते हैं, जो दशकों तक खतरा बने रहते हैं। ये बच्चों को आकर्षित कर सकते हैं, जो इन्हें खिलौना समझकर छूते हैं।
  3. नागरिकों को खतरा: इनका अंधाधुंध प्रभाव नागरिकों, खासकर बच्चों, के लिए घातक है। लाओस में 1964-1973 के बीच बचे 80 मिलियन UXO ने 2009 तक प्रतिवर्ष 100 से अधिक हताहत किए।
  4. लंबे समय तक प्रभाव: वियतनाम, लाओस, और लेबनान जैसे क्षेत्रों में युद्ध खत्म होने के बाद भी UXO से हजारों लोग मारे गए या घायल हुए।

क्लस्टर बम क्यों विवादित हैं?

क्लस्टर बमों की अंधाधुंध प्रकृति और UXO के खतरे के कारण इन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादित माना जाता है।

  • 2008 कन्वेंशन ऑन क्लस्टर म्यूनिशन (CCM): डबलिन में 30 मई 2008 को 107 देशों ने क्लस्टर बमों के उत्पादन, भंडारण, बिक्री, और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने वाली संधि को अपनाया। यह 1 अगस्त 2010 से लागू हुई। 2023 तक 112 देशों ने इसे रैटिफाई किया, लेकिन भारत, रूस, अमेरिका, चीन, पाकिस्तान, इस्राइल, और ईरान सहित 16 देश इस संधि में शामिल नहीं हैं।
  • मानवीय उल्लंघन: मानवाधिकार समूहों का कहना है कि आबादी वाले क्षेत्रों में इनका उपयोग अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन है। 60% हताहत रोजमर्रा की गतिविधियों में घायल होते हैं, जिनमें एक तिहाई बच्चे हैं।
  • विरोध: रेड क्रॉस, क्लस्टर म्यूनिशन कोलिशन, और संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठन इनके खिलाफ हैं। 2006 के लेबनान युद्ध में इस्राइल द्वारा 4 मिलियन सबम्यूनिशन के उपयोग ने इस संधि को गति दी।

क्लस्टर बम का ऐतिहासिक उपयोग

क्लस्टर बमों का उपयोग विभिन्न युद्धों में हुआ है:

  1. द्वितीय विश्व युद्ध (1943): सोवियत संघ और जर्मनी ने पहली बार इनका उपयोग किया।
  2. वियतनाम युद्ध (1964-1973): अमेरिका ने लाओस पर 260 मिलियन बॉमलेट्स गिराए, जिनमें 80 मिलियन UXO बचे।
  3. खाड़ी युद्ध (1991): अमेरिका ने इराक और कुवैत में बड़े पैमाने पर क्लस्टर बमों का उपयोग किया।
  4. अफगानिस्तान युद्ध (2001): अमेरिका ने तालिबान ठिकानों पर इनका उपयोग किया।
  5. लेबनान युद्ध (1978, 1982, 2006): इस्राइल ने अमेरिकी CBU-58 और MK-20 रॉकआई क्लस्टर बमों का उपयोग किया। 2006 में 4 मिलियन सबम्यूनिशन गिराए गए, जिनमें 1 मिलियन UXO बचे। हिजबुल्लाह ने भी 122 मिमी रॉकेट लॉन्चर से चीनी निर्मित क्लस्टर बम दागे।
  6. रूस-यूक्रेन युद्ध (2022-वर्तमान): ह्यूमन राइट्स वॉच के अनुसार, रूस ने यूक्रेन के आबादी वाले क्षेत्रों में क्लस्टर बमों का उपयोग किया। यूक्रेन ने भी रूसी ठिकानों पर इनका उपयोग किया, जिसके लिए उसने अमेरिका से आपूर्ति मांगी। दोनों देशों ने आरोपों से इनकार किया।
  7. अन्य देश: इरिट्रिया, इथियोपिया, मोरक्को, सीरिया, कंबोडिया, और वेस्टर्न सहारा में भी इनका उपयोग हुआ।

ईरान-इस्राइल युद्ध में क्लस्टर बम का कथित उपयोग

इस्राइल का दावा है कि 19 जून 2025 को ईरान ने सेंट्रल इस्राइल पर बैलिस्टिक मिसाइल से क्लस्टर बम दागा। मिसाइल का वॉरहेड 7 किमी की ऊंचाई पर फटा, जिससे 8 किमी के दायरे में 20 सबम्यूनिशन बिखरे। एक बॉमलेट ने अज़ोर शहर में एक घर को नुकसान पहुंचाया, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ। कई बॉमलेट्स नहीं फटे, जिससे नागरिकों के लिए खतरा बना हुआ है। इस्राइल के होम फ्रंट कमांड ने UXO से बचने की चेतावनी जारी की।

ईरान ने दावा किया कि उसका निशाना सोरोका अस्पताल नहीं, बल्कि पास का सैन्य खुफिया ठिकाना था। इस्राइल ने इसे “नागरिकों को निशाना बनाने” की कोशिश करार दिया। दोनों देश CCM के हस्ताक्षरकर्ता नहीं हैं, इसलिए तकनीकी रूप से इनका उपयोग उनके लिए प्रतिबंधित नहीं है।

क्लस्टर बम अपनी व्यापक विनाशकारी क्षमता और UXO के दीर्घकालिक खतरे के कारण अत्यंत खतरनाक हैं। इनका उपयोग नागरिकों, खासकर बच्चों, के लिए घातक है और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत विवादित है। ईरान-इस्राइल युद्ध में इनके कथित उपयोग ने संघर्ष की क्रूरता को और बढ़ा दिया है। वैश्विक समुदाय द्वारा 2008 की CCM संधि के बावजूद, गैर-हस्ताक्षरकर्ता देशों द्वारा इनका उपयोग चिंता का विषय बना हुआ है।

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