इस्राइल ने ईरान के खिलाफ एक बड़े सैन्य अभियान की शुरुआत की है, जिसे ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ नाम दिया गया है। इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस अभियान की पुष्टि करते हुए कहा कि यह तब तक जारी रहेगा, जब तक इस्राइल के अस्तित्व को खतरा पूरी तरह खत्म नहीं हो जाता। यह अभियान ईरान के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों को निशाना बनाकर शुरू किया गया है, जिसे इस्राइल अपने लिए गंभीर खतरे के रूप में देखता है।

ऑपरेशन राइजिंग लायन क्या है?
ऑपरेशन राइजिंग लायन (कोडनेम: एम केलावी, अर्थात् ‘राइजिंग लायन’) इस्राइल रक्षा बल (IDF) और मोसाद द्वारा शुरू किया गया एक व्यापक सैन्य अभियान है। इसका उद्देश्य ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम, बैलिस्टिक मिसाइल सुविधाओं और सैन्य बुनियादी ढांचे को नष्ट करना है। इस अभियान के तहत 13 जून 2025 की सुबह तड़के तेहरान, नतांज, इस्फहान, खोंदाब और खोरमाबाद सहित ईरान के कई रणनीतिक ठिकानों पर हवाई हमले किए गए। इस्राइल ने नतांज में ईरान की प्रमुख यूरेनियम संवर्धन सुविधा, परमाणु वैज्ञानिकों और बैलिस्टिक मिसाइल केंद्रों को निशाना बनाया।
क्यों शुरू हुआ यह अभियान?
- परमाणु खतरा: इस्राइल का दावा है कि ईरान ने नौ से 15 परमाणु बम बनाने के लिए पर्याप्त उच्च संवर्धित यूरेनियम जमा कर लिया है। नेतन्याहू ने कहा कि ईरान कुछ महीनों या हफ्तों में परमाणु हथियार विकसित कर सकता है, जो इस्राइल के लिए ‘स्पष्ट और तात्कालिक खतरा’ है।
- वैश्विक चेतावनियों की अनदेखी: नेतन्याहू ने ईरान पर अंतरराष्ट्रीय परमाणु अप्रसार संधि (NPT) और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की चेतावनियों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। IAEA ने 12 जून 2025 को ईरान की आलोचना की थी, जिसके बाद ईरान ने तीसरी संवर्धन सुविधा बनाने की घोषणा की।
- बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम: ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलें, जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैं, इस्राइल और उसके सहयोगियों के लिए खतरा हैं। पिछले साल ईरान ने इस्राइल पर 300 मिसाइलें दागी थीं। इस्राइल का कहना है कि ईरान अगले तीन वर्षों में 10,000 मिसाइलें बना सकता है।
- क्षेत्रीय तनाव: ईरान द्वारा समर्थित हिजबुल्लाह, हौथी और अन्य आतंकी समूहों ने इस्राइल पर हमले किए हैं। 7 अक्टूबर 2023 के हमास हमले के बाद से क्षेत्रीय तनाव बढ़ गए हैं। इस्राइल का मानना है कि ईरान क्षेत्र में अस्थिरता फैला रहा है।
- रणनीतिक अवसर: इस्राइल ने ईरान की कमजोर सैन्य स्थिति का फायदा उठाया। हाल के वर्षों में ईरान की हवाई रक्षा प्रणाली और क्षेत्रीय सहयोगी (जैसे हिजबुल्लाह और सीरिया का असद शासन) कमजोर हुए हैं।
क्या हुआ हमलों में?
- निशाने: इस्राइल ने नतांज में ईरान की यूरेनियम संवर्धन सुविधा, खोंदाब और खोरमाबाद के परमाणु स्थलों, तेहरान में सैन्य ठिकानों और बैलिस्टिक मिसाइल सुविधाओं पर हमले किए। मोसाद ने ईरान की हवाई रक्षा प्रणालियों पर साइबर हमले और तोड़फोड़ भी की।
- हानि: ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के कमांडर होसैन सलामी, सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल मोहम्मद बघेरी और परमाणु वैज्ञानिक फेरेहदौन अब्बासी-दवानी और मोहम्मद मेहदी तहरांची की मौत की पुष्टि हुई। तेहरान में सैन्य अधिकारियों के आवासीय क्षेत्रों में नागरिक हताहत भी हुए।
- प्रतिक्रिया: ईरान ने इस्राइल पर जवाबी हमले की चेतावनी दी है। सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने इसे ‘जघन्य अपराध’ करार देते हुए ‘कठोर सजा’ की धमकी दी। ईरान ने अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया, और इराक ने भी अपना हवाई क्षेत्र बंद किया।
- इस्राइल की तैयारी: इस्राइल में आपातकाल लागू है। स्कूल और गैर-आवश्यक कार्यस्थल बंद हैं, और नागरिकों को शेल्टर में रहने को कहा गया है। पूरे देश में सायरन बजे और बेन गुरियन हवाई अड्डा बंद है।
नेतन्याहू का संदेश
नेतन्याहू ने द्वितीय विश्व युद्ध और होलोकॉस्ट का जिक्र करते हुए कहा कि इस्राइल फिर से निष्क्रिय नहीं रहेगा। उन्होंने ईरान को ‘आधुनिक नाजी शासन’ के समकक्ष बताया और कहा कि इस्राइल किसी भी कीमत पर ईरान को परमाणु हथियार नहीं बनाने देगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह कार्रवाई न केवल इस्राइल, बल्कि अरब पड़ोसियों और वैश्विक सुरक्षा के लिए भी जरूरी है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
- अमेरिका: अमेरिका ने हमलों में शामिल होने से इनकार किया, लेकिन उसे पहले से सूचना थी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि ईरान को परमाणु हथियार नहीं बनाने दिए जाएंगे। विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि अमेरिका की प्राथमिकता अपनी सेना की सुरक्षा है।
- अन्य देश: ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अन्य देशों ने संयम बरतने की अपील की। वैश्विक बाजारों में तेल की कीमतें बढ़ीं, और मध्य पूर्व में व्यापारिक जहाजों की आवाजाही प्रभावित हुई।
- ईरान के सहयोगी: हिजबुल्लाह, हौथी और इराकी मिलिशिया को हाई अलर्ट पर रखा गया है, जिससे क्षेत्रीय युद्ध का खतरा बढ़ गया है।
आगे क्या?
इस्राइल का कहना है कि यह अभियान तब तक चलेगा, जब तक ईरान का परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम पूरी तरह नष्ट नहीं हो जाता। ईरान ने जवाबी हमले की धमकी दी है, जिसमें बैलिस्टिक मिसाइलें, ड्रोन और क्षेत्रीय सहयोगियों का इस्तेमाल हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मध्य पूर्व में एक बड़े युद्ध को जन्म दे सकता है, जिसका असर वैश्विक ऊर्जा बाजार और सुरक्षा पर पड़ेगा।