सुप्रीम कोर्ट गुरुवार, 15 मई 2025 को वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तैयार है। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ करेगी। पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जिनकी पीठ इस मामले को सुन रही थी, 13 मई को सेवानिवृत्त हो गए।

केंद्र का आश्वासन
17 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के उस आश्वासन को दर्ज किया था कि वह 5 मई तक वक्फ संपत्तियों, विशेष रूप से “वक्फ बाय यूजर” संपत्तियों को डिनोटिफाई नहीं करेगा और न ही केंद्रीय वक्फ परिषद या बोर्डों में नियुक्तियां करेगा। यह आश्वासन तब आया जब कोर्ट को बताया गया कि यह कानून संसद में “पर्याप्त विचार-विमर्श” के बाद पारित किया गया है और सरकार को सुने बिना इसे स्थगित नहीं किया जाना चाहिए।
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के उस प्रस्ताव का विरोध किया था जिसमें वक्फ संपत्तियों के डिनोटिफिकेशन और गैर-मुस्लिमों को केंद्रीय वक्फ परिषद व बोर्डों में शामिल करने की अनुमति देने वाले प्रावधान को अंतरिम रूप से रोकने की बात थी।
केंद्र का हलफनामा
25 अप्रैल को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने 1,332 पेज का प्रारंभिक हलफनामा दाखिल कर वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 का बचाव किया और संसद द्वारा पारित “संवैधानिक वैधता के अनुमान” वाले कानून पर “पूर्ण स्थगन” का विरोध किया। केंद्र ने कोर्ट से इस कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने का आग्रह किया और कुछ प्रावधानों के इर्द-गिर्द “भ्रामक और झूठी कहानी” फैलाए जाने का दावा किया।
केंद्र ने 2013 के बाद वक्फ संपत्तियों में “116 प्रतिशत की चौंकाने वाली वृद्धि” का हवाला देते हुए कानून के प्रावधानों को स्थगित न करने की मांग की। हलफनामे में यह भी खारिज किया गया कि कानून में बदलाव के कारण केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में मुस्लिम अल्पसंख्यक हो सकते हैं।
“वक्फ बाय यूजर” पर केंद्र का तर्क
“वक्फ बाय यूजर” संपत्तियों के प्रावधान का बचाव करते हुए केंद्र ने कहा कि इसमें कोई हस्तक्षेप “न्यायिक आदेश द्वारा विधायी व्यवस्था” बनाएगा। “वक्फ बाय यूजर” का मतलब ऐसी संपत्ति से है जो बिना औपचारिक लिखित घोषणा के, लंबे समय तक धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए उपयोग के आधार पर वक्फ के रूप में मान्यता प्राप्त होती है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का आरोप
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने केंद्र पर सुप्रीम कोर्ट में गलत डेटा पेश करने का आरोप लगाया और संबंधित अधिकारी के खिलाफ “झूठा हलफनामा” दाखिल करने के लिए कार्रवाई की मांग की। बोर्ड ने 2013 के बाद केंद्रीय पोर्टल पर अपलोड की गई वक्फ संपत्तियों की संख्या में “चौंकाने वाली वृद्धि” के दावे पर गंभीर आपत्ति जताई।
कानून को राष्ट्रपति की मंजूरी
केंद्र ने 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलने के बाद वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को अधिसूचित किया था।