सुप्रीम कोर्ट सोमवार, 5 मई 2025 को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। यह तय करेगा कि इस कानून पर अंतरिम रोक लगेगी या नहीं। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार को याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया था, जिसके बाद केंद्र ने 17 अप्रैल को अपना जवाब दाखिल किया।

केंद्र ने कोर्ट को बताया कि 5 मई तक वह वक्फ बाय यूजर सहित किसी भी वक्फ संपत्ति को गैर-अधिसूचित नहीं करेगा और न ही केंद्रीय वक्फ परिषद या बोर्ड में कोई नई नियुक्तियां करेगा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ के सामने कहा कि संसद द्वारा विचार-विमर्श के बाद पारित इस कानून पर सरकार का पक्ष सुने बिना रोक नहीं लगनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई तक पहले से पंजीकृत या अधिसूचित वक्फ संपत्तियों, जिनमें वक्फ बाय यूजर शामिल हैं, को न तो छेड़ा जाएगा और न ही गैर-अधिसूचित किया जाएगा। कोर्ट अब पांच याचिकाओं पर सुनवाई करेगा, जिनमें AIMIM प्रमुख और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी की याचिका भी शामिल है।
वक्फ (संशोधन) अधिनियम को 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद अधिसूचित किया गया था। लोकसभा में इसे 288 सांसदों के समर्थन और 232 के विरोध में पारित किया गया, जबकि राज्यसभा में 128 सांसदों ने पक्ष में और 95 ने विरोध में वोट दिया। कई राजनीतिक दल, मुस्लिम संगठन और एनजीओ ने इस कानून की वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं।