आज रात मुस्लिम समुदाय के लोग रात भर जाग कर करेंगे इबादत, जानिए शब-ए-बारात का मतलब
शब-ए-बारात मुसलामानों के ख़ास त्योहारों में से एक है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, शब-ए-बारात शाबान महीने की 15वीं तारीख की रात को मनाई जाती है।
शब-ए-बारात इस्लामिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण होती है। मुस्लिम समुदाय के लोग रात भर जागकर इबादत करते हैं और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। शब-ए-बारात मुस्लिम समुदाय के लिए इबादत, फजीलत, रहमत और मगफिरत की रात मानी जाती है. यानी इस रात में लोग इबादत करते हैं और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफ़ी मांगते हैं।
शब यानी रात और बारात का मतलब होता है बरी होना। शब-ए-बारात के दिन इस दुनिया को छोड़कर जा चुके लोगों की कब्रों पर उनके प्रियजनों द्वारा रोशनी की जाती है और दुआ मांगी जाती है। इस दिन अल्लाह से सच्चे मन से अपने गुनाहों की माफी मांगने से जन्नत में जगह मिलती है। मुस्लिम समुदाय के लोग शब-ए-बारात के अगले दिन रोजा रखते हैं। यह रोजा फर्ज नहीं है बल्कि नफिल रोजा कहा जाता है। यानी रमजान के रोजों की तरह ये जरूरी नहीं होता है, कोई रोजा रखे तो इसका पुण्य तो मिलता है, लेकिन न रखे तो इसका गुनाह नहीं होता।