Magh Mela 2022:-कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच शुरू हुआ माघ मेला, संक्रमण से निपटने के लिए है खास इंतजाम
अभिनव त्रिपाठी
वैश्विक स्तर पर खास पहचान बना चुके विश्व के सबसे बड़े धार्मिक मेले की शुरुआत इस वर्ष 14 जनवरी 2022 से हो चुकी है। अगर हम बात यूपी की करें तो यह मौका उसके लिए एक पर्व के समान है जिसमें सम्मिलित होने के लिए देश प्रदेश ही नहीं बल्कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से लोग आते है। आपको बता दें की गंगा जमुना और सरस्वती के मिलने से जन्में संगम में लोग आस्था की डुबकी लगाकर अध्यात्म से जुड़ते है।
लेकिन अगर हम बात इस वर्ष की करें तो यह मेला कोरोना के संक्रमण के बीच आरंभ हुआ है। ऐसे में शासन-प्रशासन के सामने एक बहुत ही बड़ी चुनौती भी होगी कि वो किस इंतजाम के साथ श्रद्धालुओं को इस संक्रमण से बचाता है।आपको बता दे की मेले कोरोना के कुछ नियम भी बनाए गए है जिसका पालन करना जरूरी होगा। अगर आपके पास कोरोना टीकाकरण का प्रमाण पत्र नहीं है तो आप मेला क्षेत्र में कल्पवास नहीं कर सकते है। ऐसे अगर आपको कल्पवास करना है तो आप दोनों डोज अवश्य लगवा कर ही जाएं।
दोनों डोज के बगैर नहीं कर सकते है कल्पवास
कोरोना के नए वेरियंट को लेकर पूरा विश्व खतरे में है। ये धीरे-धीरे अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। कोरोना संक्रमण के मामलों में प्रत्येक दिन इजाफा हो रहा है ऐसे में माघ मेला प्रशासन भी सख्त हो गया है। मेले में आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए कोरोना के टीकाकरण का प्रमाण पत्र दिखाना जरूरी होगा।हम आपको बता दें की जिन्होंने अभी तक वैक्सीन नहीं लगवाया है।
प्रशासन के द्वारा उनके लिए वैक्सीन लगवाने की भी सुविधा की गई है। जिसके अंतर्गत श्रद्धालु टीका लगवा सकते है और कोरोना की जांच भी करा सकते है। जिन्हे वैक्सीन लग जाता है उनको सुविधा पर्ची दी जाती है। साधु संत कल्पवसी जिन्हे भी मेले में प्रवेश करना है उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव होनी चाहिए बगैर इसके अंदर जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है।
इसके अतरिक्त मेला क्षेत्र में 20-20 बेडो का दो हास्पिटल भी बनवाया गया है। जिसमें महिला एवं पुरुषों के अलग अलग वॉर्ड बनाए गए है। इसके अलावा मेलें में प्रवेश करने वाले सोलह मार्गों पर थर्मल स्कैनिंग की भी व्यवस्था की गई है। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए जो भी श्रद्धालु कल्पवास कर रहे है उनका दो बार रैपिड एंटीजन टेस्ट किया जाएगा।