
भारत का एक ऐसा शहर जहां न तो धर्म है, न पैसा है और ना ही कोई सरकार है। इस शहर को ऑरोविले(Auroville) नाम से जाना जाता है। 1968 में मीरा अल्फाजों ने इस शहर की स्थापना की थी।ये जगह चेन्नई शहर से केवल 150 किलोमीटर दूर स्थित है। इस जगह को भोर का शहर(The City Of Dawn) कहा जाता है।

इस शहर को बसाने के पीछे केवल एक ही मकसद था कि यहां पर लोग जात-पात, ऊंच-नीच और भेदभाव से दूर रहें। यहां कोई भी इंसान आकर रह सकता है लेकिन इसके लिए एक शर्त रखी गई कि उसे एक सेवक के रूप में यहां रहना होगा।यह विल्लुप्पुरम डिस्ट्रिक तमिलनाडु में स्थित है। यह एक किश्म की प्रयोगिक टाउनशिप है।

मीरा अल्फाजों 1920 में वापस से यहा लौटी और 1924 में वह श्री अरविंदो स्प्रिचुअल संस्थान से जुड़ गई। इसके बाद वह जनसेवा के कार्य में जुट गई। मीरा अल्फाजों को भारत में लोग ‘मां’ कहकर पुकारने लगे थे।1968 में मीरा ने ऑरोविले की स्थापना कर दी। इसे यूनिवर्सल सिटी का नाम दिया गया। ‘ओरोविले’ शब्द का मतलब एक ऐसी नगरी है, जहां सभी देशों के स्त्री-पुरुष सभी जातियों, राजनीति तथा सभी राष्ट्रीयता से ऊपर उठकर शांति एवं प्रगतिशील सद्भावना की छांव में रह सकें।

मानवीय एकता की अनुभूति करना ही ओरोविले का उद्देश्य है। आज के समय इस शहर में करीबन 50 देशों के लोग रहते हैं। तकरीबन 24000 की आबादी इस शहर में रहती है। यहां पर एक भव्य, विशाल मंदिर भी है।

ऑरोविले के मंदिर में आपको कोई मूर्ति या तस्वीर आपको देखने को नहीं मिलेगी। दरअसल, यहां लोग सिर्फ योगा करने आते हैं।
इस शहर की भी प्रशंसा यूनेस्को ने की है और यह शहर भारतीय सरकार के द्वारा समर्थित है। भारत के राषट्रपति रहते हुए डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और प्रतिभा पाटिल ने भी ऑरोविले का दौरा किया था।
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