Raksha Bandhan से पहले बादाम-अखरोट क्यों होने लगे महंगे? व्यापारियों ने बताई वजह..
हर त्योहार से पहले महंगाई बढ़ना कोई आम बात नहीं हैं। होली पर खोए का भाव बढ़ना तो दिवाली पर पटाके ओर मिठाई लोगों की जेब हल्की कर देती हैं। ऐसे ही इस साल Raksha Bandhan के मौके पर Dry Fruits (सूखे मेवे) के दाम आसमान छूने लगे हैं। मात्र 10 दिन में इनकी कीमतों में 10 फीसद तक उछाल आया है। रुपए में देखें तो यह बढ़ोतरी 250 रुपए किलो तक है। लेकिन इस बार बढ़ोतरी की वजह कोई त्योहार नहीं हैं। व्यापारियों ने इसकी वजह अफगानिस्तान में तालिबान का हमला बताया है। भारत और अफगानिस्तान के बीच होने वाला ड्राई फ्रूट का कारोबार ठहर गया है। तालिबान के अफगानिस्तान के सभी बॉर्डरों पर कब्जा करने के बाद भारत के ड्राई फ्रूट कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं।
भारत के साथ ड्राई फ्रूट का कारोबार अफगानिस्तान की लाइफ लाइन समझी जाती है। क्योंकि अकेले भारत के साथ ही साल में 2 हजार से लेकर 2.5 हजार करोड़ रुपये का कारोबार होता है। अफगानिस्तान के बादाम, काजू, पिस्ता और अंजीर सहित एक दर्जन से ज्यादा उत्पाद भारत की मार्केट में बिकते हैं। अब तालिबान के कब्जे के बाद बने हालात से फिलहाल अफगानिस्तान के कारोबारियों को एडवांस दिए भारतीय कारोबारियों के करोड़ों रुपये फंस गए हैं।
व्यापारियों का कहना हैं कि भारत के लिए अफगानिस्तान से होने वाले निर्यात में सूखी किशमिश, अखरोट, बादाम, अंजीर, पाइन नट, पिस्ता और सूखी खुबानी शामिल है, जबकि ताजे फलों में खुबानी, चेरी, तरबूज शामिल हैं। इसके अलावा कुछ औषधीय जड़ी बूटियों का निर्यात भी होता है। अकेले भारत के साथ ही साल में 2 हजार से लेकर 2.5 हजार करोड़ रुपये का कारोबार होता है। अफगानिस्तान को भारत की ओर से किए जाने वाले निर्यात में चाय, कॉफी, काली मिर्च और कपास के अलावा खिलौने, जूते और कई अन्य उपभोग्य वस्तुएं शामिल हैं। अब तालिबान के कब्जे के बाद बने हालात से फिलहाल अफगानिस्तान के कारोबारियों को एडवांस दिए भारतीय कारोबारियों के करोड़ों रुपये फंस गए हैं।
फेडरेशन आफ करियाणा एंड ड्राई फ्रूट कामर्शियल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल मेहरा कहते हैं कि पंजाब की मार्केट में अफगानिस्तान के बादाम, काजू, पिस्ता, अनारदाना और अनार, सोंठ, मुलेठी, अंगूर, केसर, मुनक्का, दालचीनी सहित कई अन्य उत्पाद काफी पसंद किए जाते हैं। ये उत्पाद गुणवत्ता के लिए पहचाने जाते हैं और पंजाब सहित पूरे भारत में इनकी काफी मांग रहती है। आने वाले दिनों में भारत में त्योहारों का सीजन शुरू होने वाला है। जिसमें लोग ड्राई फ्रूट की खूब खरीदारी करते हैं। तालिबान सरकार ने अगर जल्द ही अपनी एक्सपोर्ट नीति जारी न की तो इन उत्पादों के रेट आसमान छू सकते हैं।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक और सीईओ अजय सहाय ने बताया कि जल्द ही, वे (तालिबान) समीक्षा कर रहे हैं, क्योंकि तालिबान ने कहा है कि वे इस बात पर गौर करेंगे कि कारोबार प्रभावित न हो। निश्चित नहीं है कि यह कितने समय तक चलेगा, लेकिन अभी की तो यही स्थिति है।
मुंबई से रामको ट्रेडर्स के चिंतित व्यापारी राजेंद्र भाटिया, जो अफगानिस्तान से सूखे मेवे आयात करते हैं, ने कहा, हम पिछले 4 दिन से उस छोर पर लोगों के संपर्क में नहीं हैं। भाटिया ने कहा कि उनकी फर्म रोड से हर हफ्ते सूखे मेवों का एक ट्रक आयात करती है और अब उसके पास इंतजार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। सेठी और भाटिया की तरह, ऐसे कई व्यापारी हैं, जिन्होंने पिछले कुछ दिनों में कठिनाइयों का सामना किया है। पिछले दो दिनों से माल ढुलाई पूरी तरह से ठप है।
फेडरेशन ऑफ करियाना एंड ड्राई फ्रूट कामर्शियल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल मेहरा ने बताया कि अगस्त में ड्राई फ्रूट्स की पक चुकी फसल को संभालना बहुत मुश्किल भरा काम है। फसल पकने के बाद अगर उसे प्रोसेस कर मार्केट में नहीं भेजा गया तो अफगानिस्तान को करोड़ों का नुकसान झेलना पड़ सकता है।
उन्होंने बताया कि भारत के साथ अफगानिस्तान का यह कारोबार उनकी लाइफ लाइन है और तालिबानी इस बारे में अच्छे से जानते हैं। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में बनने वाली तालिबान सरकार अपनी एक्सपोर्ट नीति स्पष्ट कर देगी और दोनों देशों के बीच आईसीपी अटारी के जरिये होने वाला कारोबार दोबारा से शुरू हो जाएगा।
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