‘कुमाऊं का फ्रूट बाउल’ के नाम से भी जाना जाता है यह शहर, जानें इसके पीछे का इतिहास

भारत का उत्तराखंड राज्य अपने आप में बहुत ही अलग और अनूठा राज्य है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता सबको अपनी ओर खींच ही लेती है। यहां अभी भी ऐसे कई राज्य है जिनके बारे में लोगों को कोई जानकारी ही नहीं है। उत्तराखंड में एक ऐसा ही पर्यटन स्थल है ‘कुमाऊं का फ्रूट बाउल’ जिसके बारे में अभी शायद की किसी को पता हो। आज हम आपको इसे के बारे में बताने जा रहे हैं। रामगढ़ दो भागों में बंटा हुआ है। एक भाग का नाम है मल्ला तो दूसरे भाग का नाम है तल्ला यह निचले स्तर का भाग है। यह स्थान प्रेमियों को शांति का वतावरण प्रदान करने के लिए समुद्र तल से 1,518 मीटर की ऊंचाई पर है। आप यहां आकर पहाड़ियों के बीच एक अलग ही अनुभव कर सकते हैं।

क्यों आएं रामगढ़ ?

उत्तराखंड प्राकृतिक छटा से भरपूर स्थल है। जो प्रकृति प्रेमियों के लिए एक बेमिसाल स्थान है। यहां पर बहुत कुछ है जिसे आप अनभिग्य नहीं रहना चाहेंगे। रामगढ़ा में भारत के सम्मानित कवि रवींद्रनाथ टैगोर और समाजसेवी नरैन स्वामी ने एक आश्रम बनाया था। क्योंकि यह बहुत ही शांत स्थल है इसलिए यहां पर कवि और लेखकों का आवागमन लगा ही रहता है। यहां पर पहले अंग्रेजों की मुख्य छावनी भी हुआ करती थी।

आने का सही समय

आप यहां पूरे साल में कभी भी आ सकते हैं। यहां का मौसम हर समय खुशनुमा बना रहता है। यहां का तापमान अधिकतर 26 डिग्री और न्यूनतम तापमान 14 डिग्री बना रहता है। इसलिए आप यहां कभी भी आकर इस स्थान का लुफ्ट उठा सकते हैं।

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