हथियारों के आयात में 33 फीसदी कमी, रूस-अमेरिका जैसे देशों की सांसे थमी

भारत में 2011 से लेकर 2020 तक में विदेशों से हथियार के आयात में 33 फिसदी की कमी आ गई है। सबसे ज्यादा हथियार की आपूर्ति करने वाला देश रूस और फिर अमेरिका है। स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम स्थित रक्षा टैंक सिपरी की रिपोर्ट ने यह खुलासा किया है कि माना जा रहा है। कि केंद्र सरकार के आत्मनिर्भर भारत  को बढावा देने के वजह से हथियारों के आयात में कमी आई है।

स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति अनुसंधान संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार, बीते पांच साल में भारत ने सबसे ज्यादा हथियार रूस से खरीदे हैं। हालांकि, हथियारों के इस आयात में करीब 53 फीसदी की गिरावट आई गई है। भारत अब रूस से पहले के 70 फीसदी की बजाय महज 49 फीसदी हथियार ही खरीद रहा है। इस मामले में भारत ने अमेरिका को भी एक बड़ा झटका दिया है। 2011-2015 के बीच अमेरिका भारत को दूसरा सबसे बड़ा हथियार देने वाला देश था, मगर 2016-2020 से अमेरिका चौथे पायदान पर चला गया है।

भारत ने आमेरिका से हथियारों के आयात मामले में 46 फीसदी की घटोतरी हुई है। 2016 से 2020 के दौरान भारत के इजराइल दूसरे और फ्रांस तीसरे सबसे बड़े हथियार आपूर्तिकर्ता देश रहे। 2016 से 2020 के बीच भारत का फ्रांस से हथियार आयात 709 फीसदी बढ़ा है।

हथियार आयातकों में भारत सऊदी अरब के बाद दूसरे स्थान पर है। वहीं, इस मामले में चीन पांचवें स्थन पर , जबकि पाकिस्तान 10वें स्थान पर है। 2016-20 के बाद दुनिया के सबसे बड़े हथियार निर्यातकों में चीन पांचवें स्थान पर चला गया है। उसका हथियार निर्यात 7.8 फीसदी कम हो गया है। हालांकि, चीन से हथियार खरीदने वालों में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अल्जीरिया सबसे आगे हैं। पाकिस्तान ने आयातित कुल हथियारों का 74 फीसदी हिस्सा अकेले चीन से खरीदा है। चीनी हथियारों की खरीद करने वाले प्रमुख एशियाई देशों में बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया और थाईलैंड भी शामिल हैं।

2016-20 के बाद से फ्रांस ने अपने हथियारों के निर्यात में 44 फीसदी का इजाफा कर दिया है। इसकी वैश्विक हथियार निर्यात में हिस्सेदारी बढ़कर 8.2 फीसदी हो गई है। फ्रांसीसी हथियार निर्यात का 59 फीसदी भारत, मिस्र और कतर को भेज रहा है।

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