भारत ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद-रोधी कार्यालय (यूएनओसीटी) और काउंटर-टेररिज्म कमेटी कार्यकारी निदेशालय (सीटीईडी) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मुलाकात कर लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के मोर्चा संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को संयुक्त राष्ट्र की आतंकी संगठन सूची में शामिल करने की मांग को और मजबूत किया। टीआरएफ ने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी।

यूएन के साथ चर्चा
भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने यूएनओसीटी के अवर महासचिव व्लादिमीर वोरोनकोव और सीटीईडी की सहायक महासचिव नतालिया घेरमन से मुलाकात की। इस दौरान आतंकी गतिविधियों के लिए नई और उभरती प्रौद्योगिकियों के दुरुपयोग को रोकने की पहल पर चर्चा हुई, जो 2022 में भारत की अध्यक्षता में काउंटर-टेररिज्म कमेटी द्वारा अपनाए गए दिल्ली घोषणापत्र के अनुरूप है। एक यूएन प्रवक्ता ने न्यूयॉर्क में भारतीय तकनीकी टीम के दौरे के बारे में यह जानकारी दी।
पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर
यह कदम पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले के बाद उठाया गया, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी और कई अन्य घायल हुए थे। पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के मोर्चा संगठन टीआरएफ ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी।
हमले के जवाब में, भारतीय सशस्त्र बलों ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर में आतंकी ढांचे को निशाना बनाया गया। इस ऑपरेशन में जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम), लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े 100 से अधिक आतंकी मारे गए।
पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई और युद्धविराम
पहलगाम हमले के बाद, पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा और जम्मू-कश्मीर में सीमा पार गोलीबारी और ड्रोन हमलों की कोशिश की। इसके जवाब में भारत ने समन्वित हमला किया, जिसमें पाकिस्तान के हवाई अड्डों पर रडार ढांचे, संचार केंद्रों और हवाई क्षेत्रों को नुकसान पहुंचाया गया। 10 मई को भारत और पाकिस्तान ने युद्धविराम पर सहमति जताई, जिसके बाद शत्रुता समाप्त हुई।