कोटा से वापस आए लाखों छात्र, 15 दिनों के लिए क्वारंटीन
देश के तमाम राज्य से लाखों छात्र हर साल कोटा पढ़ाई करने के लिए जाते हैं। लॉकडाउन की वजह से छात्र वहीं फंस गए थे। जहां वह दिल खोल पढ़ाई के लिए रहते थे वह अब उनके लिए कैद खाने की तरह हो गए हैं। वहां पर खाना भी कैदियों की तरह मिलने लगा था।
उनको लग रहा था न जाने यह लॉकडाउन कब खत्म होगा और वह कैद से मुक्त होंगे। इसी घबराहट में मुहिम चलाई अपने घर लौटने की। लगातार नेताओं अफसरों को मेल, ट्विटर पर लिखने का फायदा हुआ। बसें गईं और घर को रवाना होने लगे। उनमें से तमाम अभी वहीं फंसे हैं। वहां से लौटे छात्रों की आपबीती…।
सिर्फ कैद जैसे ही नहीं थे, खाना भी कैदियों वाला था
कानपुर किदवई नगर की जाह्नवी तिवारी ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि लॉकडाउन में हॉस्टल जेल की तरह थी। जहां सिर्फ हम लोग कैद ही नहीं थे बल्कि खाना भी कैदियों वाला हो गया था। दाल पतली हो गई थी और रोटियों में कटौती की जा रही थी। किदवई नगर की ही सौम्या कहती हैं, हम तो चले आए लेकिन दूसरे राज्यों के बच्चे थोड़े मायूस हो गए। सबके मन में अनजाना सा डर था। सब बच्चे अपने-अपने राज्यों की न्यूज देखकर विचलित होते थे। पढ़ाई में भी मन नहीं लगता था। लगता था न जाने क्या होगा। वंश का कहना था कि ऐसे संकट के समय परिवार से दूर रहना बहुत मुश्किल था। खाने की भी परेशानी रही। पहले लॉकडाउन के तीन दिन बाद ही पीजी की मेस बंद हो गई। ऐसे में केवल ऑनलाइन फूड डिलीवरी ही एकमात्र साधन था। रोज 200 रुपये खर्च करके केवल दो टाइम का ही खाना मिल पाता था।