आखिर क्या है ‘तबलीगी जमात’ ? क्यों बना कई लोगों के संक्रमित होने की वजह…
कोरोना वायरस का बढ़ता कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसके संक्रमण को रोकने के लिए सरकार हर मुमकिन कोशश कर रही है लेकिन कुछ लोगों को इस बात की गहराई समझ नहीं आ रही है. हाल ही में दिल्ली की निजामुद्दीन में हुए धार्मिक कार्यक्रम में शामिल हुए 400 लोगों में से 200 को कोरोना का संदिग्ध बना दिया. साथ ही में तेलंगाना में 6 लोगों की मौत हो गई. लेकिन कई लोगों के मन में ये सवाल आता है कि आखिर क्या है ‘तबलीगी जमात’ ? जानते हैं इसका जवाब…
मरकज, तबलीगी जमात, ये तीनों शब्द अलग-अलग हैं। तबलीगी का मतलब होता है, अल्लाह के संदेशों का प्रचार करने वाला। जमात मतलब, समूह और मरकज का अर्थ होता है मीटिंग के लिए जगह। यानी की अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला समूह। तबलीगी जमात से जुड़े लोग पारंपरिक इस्लाम को मानते हैं और इसी का प्रचार-प्रसार करते हैं। इसका मुख्यालय दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित है। एक दावे के मुताबिक इस जमात के दुनिया भर में 15 करोड़ सदस्य हैं। 20वीं सदी में तबलीगी जमात को इस्लाम का एक बड़ा और अहम आंदोलन माना गया था।
कैसे हुई इसकी शुरुआत
कहा जाता है कि ‘तबलीगी जमात’ की शुरुआत मुसलमानों को अपने धर्म बनाए रखने और इस्लाम का प्रचार-प्रसार तथा जानकारी देने के लिए की गई। इसके पीछे कारण यह था कि मुगल काल में कई लोगों ने इस्लाम धर्म कबूल किया था, लेकिन फिर वो सभी हिंदू परंपरा और रीति-रिवाज में लौट रहे थे। ब्रिटिश काल के दौरान भारत में आर्य समाज ने उन्हें दोबारा से हिंदू बनाने का शुद्धिकरण अभियान शुरू किया था, जिसके चलते मौलाना इलियास कांधलवी ने इस्लाम की शिक्षा देने का काम प्रारंभ किया।
तबलीगी जमात आंदोलन को 1927 में मुहम्मद इलियास अल-कांधलवी ने भारत में हरियाणा के नूंह जिले के गांव से शुरू किया था। इस जमात के छह मुख्य उद्देश्य बताए जाते हैं। “छ: उसूल” (कलिमा, सलात, इल्म, इक्राम-ए-मुस्लिम, इख्लास-ए-निय्यत, दावत-ओ-तबलीग) हैं। तबलीगी जमात का काम आज दुनियाभर के लगभग 213 देशों तक फैल चुका है।