मंदिरों का नगर कहे जाने वाले द्वाराहाट के मंदिर इसलिए हैं प्रसिद्ध, जानें मुख्य वजह…

रिपोर्ट – विमल साह

द्वाराहाट। द्वाराहाट को मंदिरों का नगर कहा जाता है इसके साथ साथ पुरातात्विक शब्दों में द्वाराहाट को उत्तराखंड का खजुराहो भी कहा जाता है । द्वाराहाट में कालान्तर में 365 मंदिर और 365 ही नाले और बावड़ियां हुआ करती थी।

मंदिर

मगर आज कुछ ही मंदिर समूह बचे हैं कुछ नोले। द्वाराहाट कभी पुरातन काल में एक भब्य नगर रहा होगा। यहां पर आज भी खुदाई में मृद भांड मिलते हैं जिसमे की दैनिक उपयोग की वस्तुवें या बर्तन मिलते हैं। इसी वजह से यहाँ इन मंदिरों का निर्माण हुवा होगा।

यहां पर जो मंदिर हजारों वर्षों से सैनिकों की तरह बिलकुल आकाश की ओर मुह किए खड़े हैं इनकी या इन मंदिरों की सबसे बड़ी विशेषता  है कि इनके जोड़ पर किसी प्रकार का कोई गारा या लेप नहीं लगा है।

आतंकियों को भारत में धकेलने की पाक कर रहा हर कोशिश, देश देगा मुंहतोड़ जवाब

केवल दो पत्थरों को आपस में लोहे के क्लेम्प से जोड़ा गया है। इतने विशाल बोल्डर किस तकनीक से इतने ऊपर चढ़ाये होंगे उस काल में विज्ञानं कितना आगे होगा यह एक विचारणीय प्रश्न है।सबसे अधिक चौकाने और विश्मृत करने वाली बात यह है कि इतने विशाल शिलाओं को कहाँ से लाये होंगे और किस प्रकार यहाँ पर इतनी उचाई पर चढ़ाये होंगे। इन मंदिरों के बारे  प्रचलित कथाएं या किवदंती कि कुछ का मानना है कि ये सभी मंदिर पांडव कालीन हैं और अज्ञातवास के समय इन मंदिरों का निर्माण किया गया।

कुछ लोग इन्हें कत्यूरी शाशनकाल का मानते हैं और कुछ इन्हें चंदवंशीय राजाओं द्वारा निर्मित मानते हैं। पुरातत्व विभाग भी चंद शाशनकाल में इनका निर्माण समय मानता है।जो भी हो ये मंदिर द्वाराहाट को एक विशेष पहचान दिलाते हैं।

उत्तर प्रदेश के समय में इन मंदिरों के रख रखाव का विशेष ध्यान नहीं दिया जाता था मगर आज उत्तराखंड सरकार बनने के बाद देहरादून में पुरातत्व विभाग का कार्यालय खुलने के बाद इन मंदिरों का रख रखाव पर ज्यादा ध्यान दिया जाने लगा।

 

LIVE TV