
रिपोर्ट:- दिलीप कटियार/FARRUKHABAD
यूपी पुलिस अपने कारनामों के लिए जगजाहिर है. अपने कारनामों के के चलते मीडिया में छाए रहना उसकी आदत भी बन गई है. एक ऐसा ही कारनामा मीडिया के सामने आया है। एक आरोपी दारोगा ने अपने ही खिलाफ जांचकर खुद को क्लीनचिट भी दे दी। जी हां फर्रुखाबाद जनपद में सब कुछ मुमकिन है।
पुलिस प्रशासन में वैसे तो नियम है कि जब कोर्ट ने जवाब तलब किया तो बोले हुजूर अभी नया हूं, कोर्ट कचहरी के टेक्निकल बिंदुओं की जानकारी नहीं थी। उनके बचाव में अपर पुलिस अधिक्षक भी उतर आए हैं। फिलहाल एसीजेएम विनीता सिंह ने जांच दूसरे थाने में ट्रांसफर कर दी है।
कोतवाली फर्रुखाबाद में तैनात रहे दारोगा तेज बहादुर सिंह के खिलाफ मारपीट, अवैध रूप से बंधक बनाने और सार्वजनिक रूप से अपमानित करने के एक मामले में दायर याचिका पर एसीजेएम ने रिपोर्ट तलब की तो दारोगा जी ने अपने खिलाफ जांच कर खुद को क्लीनचिट दे दी।
इंस्पेक्टर की जानकारी के बिना ही रिपोर्ट कोर्ट भेज दी गई। न्यायालय ने इस धांधली पर जवाब तलब किया, तो लिखित माफीनामा देकर कहा गया कि वह अभी नए हैं, उन्हें कोर्ट कचहरी के इन टेक्निकल बिंदुओं की जानकारी ही नहीं थी।
अपनी पूर्व रिपोर्ट पर ही साथी दारोगा से हस्ताक्षर करा कर फिर से कोर्ट भेज दिया। इसके बाद वादी के वकील दीपक द्विवेदी ने मामला पकड़ा तो न्यायालय ने जांच कोतवाली से छीन कर थाना मऊदरवाजा को दे दी गई।
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अब दरोगा तेज बहादुर सिंह को फंसता देख अपर पुलिस अधीक्षक त्रिभुवन सिंह ने उनका पक्ष लेते हुए कहा कि दरोगा ने कोर्ट में मांफी मांग ली है ।अपने खिलाफ नियमानुसार कोई खुद जांच कर ही नहीं सकता।
करीब 45 से अधिक जांच में कैसे लगेगी रिपोर्ट- अब सवाल यह उठता है कि जब दरोगा तेज बहादुर सिंह ने कोर्ट में लिखित माफीनामा देकर कहा है कि वह अभी नए हैं और उन्हें न्यायालय के टेक्निकल बिंदुओं की जानकारी ही नहीं है।
इसके बावजूद उच्च अधिकारियों ने अब तक उनके पास लंबित करीब 45 से अधिक जांच का कोई संज्ञान नहीं लिया है। ऐसे में टेक्निकल बिंदुओं से अनभिज्ञ दरोगा जी इन जांच में क्या रिपोर्ट लगा देते है। इसके तो अधिकारी ही मालिक होंगे।