
नई दिल्ली। सपा पार्टी के कद्दावर नेता और अखिलेश यादव के करीबी एमपी आजम खान अपने विवादों को लेकर इन दिनो काफी चर्चा में रहे हैं। लोकसभा की पीठासीन अधिकारी रमा देवी पर की गई अशोभनीय टिप्पणी उन्हें संसद से बाहर का रास्ता दिखा सकती है। आजम खान पर संसद में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने की बात चल रही है।
हालांकि उनके पास माफी मांगने का विकल्प है। मगर आजम ने अभी तक माफी नही मांगी है। साल 1976 में सुब्रहमण्यम स्वामी और साल 1978 में इंदिरा गांधी को भी विशेषाधिकार हनन के चलते संसद से निष्कासित किया जा चुका है।
विशेषाधिकार हनन से जुड़े मामले संसद की विशेषाधिकार समिति को भेजे जाते हैं। वह इस पर विचार विमर्श कर फैसला लेती है और इस फैसले से संसद को अवगत कराती है। समिति के फैसले के बाद संसद उस पर मुहर लगा देती है और दोषी पाए गए सांसद को सदन से निलंबित किया जा सकता है। इतना ही नही उन्हें सदन से निष्कासित भी किया जा सकता है।
इंदिरा गांधी को शाह कमीशन की रिपोर्ट की रोशनी में साल 1978 में चौधरी चरण सिंह के लाए प्रस्ताव के मद्देनजर संसद से निष्कासित कर दिया गया था। जबकि सुब्रमण्यम स्वामी को साल 1976 में एक विदेशी इंटरव्यू में सदन को अपमानित करने के मुद्दे पर राज्यसभा से बर्खास्त कर दिया गया था। वे यूपी से राज्यसभा के सदस्य थे।
विशेषाधिकार प्रस्ताव लाने का अधिकार संसद के किसी भी सदस्य को है। विशेषाधिकार हनन पर जेल तक भेजे जाने की व्यवस्था होती है। आजम खान चूंकि लोकसभा के सदस्य हैं इसलिए विशेषाधिकार प्रस्ताव लाने वाला सदस्य इसकी लिखित सूचना लोकसभा के महासचिव को देगा। लोकसभा अध्यक्ष की इजाजत के बाद इसे विशेषाधिकार समिति को भेज दिया जाता है।
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लोकसभा अध्यक्ष रूल 227 के तहत इसकी इजाजत देते हैं। विशेषाधिकार समिति के फैसला लेने की सूरत में आजम खान का निष्कासन तय हो जाएगा क्योंकि संसद के अधिकतर सदस्य उनके खिलाफ हैं।