
नई दिल्ली। कश्मीर के अलगाववादियों की कमर तोड़ने के लिए गृहमंत्री अमित शाह ने एक ऐसा मास्टर स्ट्रोक चला है जो उन्हें घुटनों पर ला सकता है। उनकी दाल रोटी का ठिकाना भी खत्म कर सकता है। आतंकियों और अलगाववादियों पर निर्णायक प्रहार की खातिर गृह मंत्रालय की ओर से गठित मल्टी डिसिप्लिनरी टेरर मॉनिटरिंग ग्रुप (एमडीटीएमजी) ने कश्मीर में अपना काम शुरू कर दिया है। इस ग्रुप का गठन 16 जून को किया गया था। इसके तहत अलगाववादियों को मिलने वाली पाई-पाई को जब्त करने की फूलप्रूफ योजना तैयार की गई है।
एमडीटीएमजी के तहत एक ऐसा मॉनिटरिंग नेटवर्क बनाया गया है जो आतंकियों और अलगाववादियों पर चौतरफा प्रहार करेगा। ये कार्यवाही केवल गिरफ्तारियां करने या फिर उन्हें जेलों में ठूसने तक ही सीमित नही रहेगी। इसके तहत उनके सभी मौजूदा और अनुमानित फंडिंग के रास्ते खत्म कर दिए जाएंगे।
सबसे पहले ये कार्यवाही उन कट्टर अलगाववादियों के खिलाफ शुरू की जाएगी जो दशकों से कश्मीर में अलगाववाद के सबसे बड़े चेहरे हैं। इनमें मोहम्मद यासीन मलिक, शब्बीर अहमद शाह जैसे कई नामी अलगाववादी शामिल हैं जो तिहाड़ की जेल में बंद हैं। ये अलगाववादी अरसे से जमानत पर बाहर आने की कोशिश कर रहे थे। मगर इस ग्रुप के हरकत में आने के साथ ही इनकी रिहाई की उम्मीद भी न के बराबर हो चुकी है। ऐसे में इन्हें लंबा वक्त जेल के सलाखों के भीतर ही काटना पड़ सकता है।
इस ग्रुप का जिम्मा जम्मू कश्मीर पुलिस की सीआइडी के एडीजी को सौंपा गया है। इसके पीछे कश्मीर के लोकल नेटवर्क की मदद लेने की रणनीति है। इसके अलावा आइजीपी जम्मू कश्मीर व केंद्रीय खुफिया एजेंसियों, सीबीआइ,एनआइए और सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स के वरिष्ठ अधिकारी भी इसमें शामिल हैं। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स के अधिकारियों के साथ होने का सीधा सा मतलब आतंक के फाइनेंसियल नेटवर्क पर घातक चोट करना है।
इस ग्रुप की हर हफ्ते एक मीटिंग हुआ करेगी। इसमें खासतौर पर आतंकियों व अलगाववादियों के वित्तीय नेटवर्क को तोड़ने पर काम होगा जिससे कि वे बुरी तरह लाचार हो जाएं। इस ग्रुप की पहुंच का दायरा सिर्फ अलगाववादी नेताओं तक ही नही बल्कि उनके समर्थक और सहानुभूति रखने वालों तक भी होगा। वे भी कानून के शिकंजे में लिए जा सकते हैं।
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कश्मीर और उससे बाहर की जेलों में कई ऐसे आतंकी बंद हैं जिन्हें घाटी में आतंकवाद और आतंकी फंडिग के केस में गिरफ्तार किया गया है। इनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही तेज करने की पहल भी की जा रही है। एनआईए को इसका जिम्मा सौंपा गया है। जेलों में बंद जेकेएलएफ के मुखिया यासीन मलिक, शब्बीर अहमद शाह, अल्ताफ अहमद फंटूस, अयाज अकबर, एडवोकेट शाहिद उल इस्लाम, फारूख अहमद डार, जहूर वटाली और महिला अलगाववादी नेता आशिया अंद्राबी और उसकी नजदीकी सहयोगी फहमीदा सोफी और नाहिदा नसरीन के लिए ये बेहद बुरी खबर साबित हो सकती है।