इस अद्भुत जीत से खुश नहीं है अमित शाह, चाहते हैं 400 सीट्स का रिकॉर्ड! देखें क्या कहते हैं अमित शाह …    

ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में बीजेपी का मंच सजा था. मौका राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का था. 15 और 16 अप्रैल 2017 को आयोजित इस दो दिवसीय बैठक में जब बोलने की बारी आई तो अध्यक्ष अमित शाह ने सबको चौंका दिया.

उन्होंने पार्टी नेताओं से दो टूक कह दिया कि आप लोग किसी भुलावे में मत रहिए, अभी बीजेपी का स्वर्णिम काल नहीं आया है. अमित शाह का बयान इसलिए भी चौंकाने वाला था कि कार्यकारिणी से पहले बीजेपी के ‘राजमुकुट’ में बड़ी जीत के कई नगीने जुड़ चुके थे.

2014 में चाहे बहुमत से केंद्र की सत्ता में पहुंचना हो या फिर हरियाणा, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में सरकार बनाना. वहीं भुवनेश्वर में हुई इस कार्यकारिणी की बैठक से एक महीने पहले ही पार्टी ने देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में विजय पताका फहराया था.

अमित शाह ने उस बैठक में पार्टी नेताओं को आगे और मेहनत करने का संदेश देते हुए कहा था- ‘2014 में जब हम जीते तो लोगों ने कहा बीजेपी चरमोत्कर्ष पर पहुंच चुकी है. 2017 में भी यही कहा गया, मगर पार्टी का चरमोत्कर्ष अभी बाकी है.

हमारी कल्पना है कि हर प्रदेश में हमारी सरकार हो.पंचायत से पार्ल्यामेंट तक ‘भाजपाराज’ होना चाहिए. उस वक्त अमित शाह ने बीजेपी के स्वर्णिम काल को देश के स्वर्णिम काल से भी जोड़ा था.

 

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2019 में भी खुद को शिखर पर नहीं पाते शाह

2019 के लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से जीत के बाद भी अमित शाह पार्टी को शिखर पर नहीं पाते हैं. भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली मुख्यालय पर गुरुवार(13 जून) को पार्टी पदाधिकारियों की मीटिंग में अमित शाह ने 2017 में भुवनेश्वर कार्यकारिणी वाली बात फिर दोहराई.

उन्होंने कहा कि अभी बीजेपी सफलता के शिखर पर नहीं पहुंची है. यह बयान ऐसे वक्त पर आया, जबकि मोदी-शाह के नेतृत्व में बीजेपी लगातार दो स्थिर सरकार बनाने के मामले में इंदिरा गांधी की अगुवाई वाली कांग्रेस के रिकॉर्ड की बराबरी कर चुकी है.

वहीं तीन दशक बाद देश में बहुमत की सरकार बनने का सिलसिला शुरू हुआ है. साथ ही 303 सीटों के साथ बीजेपी अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पर है.

 

1984 का रिकॉर्ड तोड़ना चाहते हैं शाह?

2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बंपर बहुमत से बीजेपी की सरकार बनने पर भी क्यों संतुष्ट नहीं हैं अमित शाह? बीजेपी के सूत्र कहते हैं कि इस सवाल का जवाब बीजेपी के नारे ‘अबकी बार चार सौ पार’ में छिपा है.

बीजेपी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में चार सौ सीटें जीतने का टारगेट तय किया था. कई नेता रैलियों में यह नारा देते थे.

भले ही बीजेपी ने प्रचंड जीत हासिल की, मगर चार सौ से ज्यादा सीटें जीतने का टारगेट पूरा नहीं हुआ. इस अधूरी ख्वाहिश को अब 2024 में पूरा करने की तैयारी है.

पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी कहते हैं- जहां तक मुझे खबर है कि अमित शाह 1984 में कांग्रेस की 414 सीटें जीतने का रिकॉर्ड तोड़ना चाहते हैं.

देश के संसदीय चुनावों के इतिहास में यह सबसे बड़ी जीत रही है. 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस ने राजीव गांधी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था.

तब इंदिरा गांधी की हत्या पर उपजी सहानुभूति की लहर पर सवार होकर कांग्रेस ने सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड बनाया था. उस चुनाव में बीजेपी को दो सीटें मिलीं थीं.

 

और क्या चाहते हैं शाह

आखिर और कितनी सफलता चाहते हैं शाह? इस सवाल के जवाब में बीजेपी के एक राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी ओडिशा की कार्यकारिणी में अमित शाह के भाषण की तरफ इशारा करते हैं.

जिसमें अमित शाह कहते हैं कि पार्टी का चरमोत्कर्ष तभी होगा, जब हर प्रदेश में सरकार होगी. काबिलेगौर है कि बीजेपी और एनडीए की इस वक्त देश के 17 राज्यों में सरकार है. पूर्वोत्तर के राज्यों की सत्ता में भी बीजेपी पहुंच चुकी है.

यहां तक कि वामपंथ के गढ़ त्रिपुरा पर भी बीजेपी का कब्जा हो चुका है. मगर दक्षिण का दुर्ग अब भी बीजेपी से दूर है. पार्टी सूत्र बताते हैं कि अमित शाह, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और केरल जैसे प्रमुख राज्यों में बीजेपी की सरकार बनाने की ठान चुके हैं.

ऐसे में इन राज्यों की सत्ता पर भी बीजेपी का कब्जा होने के बाद संभव है कि अमित शाह का बयान आए कि अब बीजेपी सफलता के शिखर पर है.

 

बीजेपी तोड़ सकती है रिकॉर्ड

बीजेपी सूत्रों का मानना है कि अमित शाह की मेहनत और रणनीति के दम पर बीजेपी 1984 में कांग्रेस के 414 सीटें जीतने के रिकॉर्ड को तोड़ सकती है.

पार्टी नेता भी यह मानते हैं कि 2019 में बीजेपी अपने दम पर 303 सीटों तक पहुंच चुकी है, वहीं एनडीए 353 सीटें जीत चुका है. कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल पस्त पड़े हैं.

विपक्ष में मजबूत चेहरों और एकता दोनों का अभाव है. ऐसे में चार सौ से ज्यादा सीटें जीतना नामुमकिन नहीं है. शायद यही वजह है कि पार्टी चाहती है कि गृह मंत्री होने के साथ-साथ अमित शाह अभी बीजेपी अध्यक्ष रहें. जिससे पार्टी आगे और बड़ी जीत का रिकॉर्ड बना सके.

 

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