
मोदी लहर ने सियासी घरानों की नींव हिला दी। वे अपने दल को तो दूर, घर वालों को भी नहीं बचा पाए। कांग्रेस की नैया पार लगाने के लिए ट्रंप कार्ड के रूप में उत्तर प्रदेश लाई गईं प्रियंका गांधी वाड्रा पार्टी का परचम फहराना तो दूर, भाई राहुल गांधी की नैया भी किनारे नहीं पहुंचा पाईं।

यादव परिवार का भी बुरा हाल हुआ। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पहली ही परीक्षा में बुरी तरह असफल साबित हुए। पिता मुलायम सिंह यादव की सियासी जमीन बचाना तो दूर, वे अपनी पत्नी डिम्पल यादव और भाई अक्षय की फिरोजाबाद व धर्मेंद्र यादव की बदायूं सीट भी नहीं बचा पाए।
वह भी तब, जब उन्होंने बसपा का साथ भी लिया। चौधरी चरण सिंह की विरासत पर राष्ट्रीय लोकदल चलाने वाले चौधरी अजित सिंह और उनके पुत्र जयंत चौधरी को इस लोकसभा चुनाव में भी निराशा ही मिली।