कपड़े धोने वाली बात पर अक्षय से भी खेल गए मोदी, कहा इतना बड़ा झूट ! जानें पूरा किस्सा …

प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में एक इंटरव्यू दिया, जो उनके हिसाब से गैर-राजनैतिक था. लेकिन बातें ऐसी कहीं कि मिस्टर खिलाड़ी अक्षय कुमार हर जवाब पर चकरघिन्नी बनकर लोट-पोट होने लगते थे. तमाम फ़ौलादी बातों से भरा हुआ इंटरव्यू था.

अब इसी इंटरव्यू से एक फ़ौलादी बात निकलती है जो सटाक से मैग्नेटिक फ़ील्ड की तरफ़ निकल गई. मतलब ये कि चुम्बक लोहे को उतनी ही तेज़ खींचता है जितनी तेज़ झूट .अब इस बात को उसी तरह समझिएगा की कौन लोहा है और कौन चुम्बक है. बात ये थी कि खिलाड़ी कुमार ने मोदी के फ़ैशन सेन्स की पहले तारीफ़ की. फिर पूछा ‘क्या ये फ़ैशन आपने ख़ुद से किया है या किसी को …?  क्योंकि मोदी जी ने आगे बोलने नहीं दिया अक्षय कुमार को.

 

मोदी जी ने सवाल की तारीफ़ करते हुए जवाब दिया-

 

मेरी दूसरी छवि मेरी इन कपड़ों की दुनिया को लेकर बनाई गई है. दर-असल क्या है कि छोटे बैग में मेरी जिंदगी थी. इसी में अपना सामान रखा करता था. और कपड़े मैं ख़ुद धोता था, सीएम बना तब तक मैं अपने कपड़े खुद धोया करता था, फिर मैने सोचा कि लंबी बांह वाले कुर्ते की वजह से मुझे ज्यादा कपड़े धोने पड़ते हैं. दूसरा कि पूरी बांह वाला कुर्ता मेरे बैग में ज्यादा जगह लेता है. तो मैंने खुद ही अपने कुर्ते की बांह काट दी थी, जो बाद में फैशन बन गया”

‘पीएम मोदी ने बनारस के साथ विश्वासघात किया’

अब मोदी जी के इसी शॉट को इंडियन एक्सप्रेस अख़बार ने कैच कर लिया, वो भी बाउंड्री पर और हो गए आउट. मोदी जी ने कहा कि जब तक मुख्यमंत्री नहीं बना, तब तक अपने कपड़े ख़ुद ही धोता था. लेकिन अख़बार का कहना है कि मोदी जी ने फ़ैक्ट छुपाया है.

 

झोल कहां है वो समझिए अब-

 

इसको ऐसे समझिए कि मोदी पहली बार मुख्यमंत्री बने 2001 में. तब मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के गिरते स्वास्थ्य की वजह से मोदी मुख्यमंत्री बने. यानि अक्षय को दिए इंटरव्यू के हिसाब से मोदी 2001 तक अपने कपड़े धोते रहे होंगे. लेकिन इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि ऐसा है नहीं भाई साहब .

 

2001 की बात छोड़िए, मुख्यमंत्री बनने के बहुत पहले 1970 के दशक में जब मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के फ़ुल-टाइम प्रचारक थे, तब भी मोदी के पास अपना एक धोबी था. नाम था चांद मोहम्मद .

 

तब मोदी गोधरा में रहते थे, और गोधरा के ही चांद मोहम्मद ने बतौर धोबी मोदी के कपड़े तक़रीबन दस साल तक धोए.

 

इंडियन एक्सप्रेस की इसी रिपोर्ट में कहा गया कि साल 2008 में बतौर मुख्यमंत्री मोदी एक सद्भावना रैली कर रहे थे. ये रैली ‘गोधरा काण्ड’ के बाद सामाजिक सद्भाव के लिए हो रही थी. उस रैली में गोधरा के चांद मोहम्मद को मोदी ने विशेष आमंत्रण दिया था. अपने 62वें जन्मदिन पर मोदी ने 72 घंटों का उपवास रखा था. इसी के बाद चांद मोहम्मद गोधरा में ख़ासे लोकप्रिय हुए थे.

 

एक सभा में जब मोदी ने चांद मोहम्मद को 5 लाख रुपये का चेक सौंपा तो उन्होंने इसे लेने से मना कर दिया. बदले में चांद मोहम्मद ज़मीन का एक टुकड़ा चाहते थे, जिसपर वो अपना घर बना सकें. मोदी तुरंत मान गए और मंच से ही अधिकारियों को प्रक्रिया पूरी करने को कहा.

 

साल 2017 में चांद मोहम्मद ने दिल का दौरा आने के बाद वड़ोदरा के एक अस्पताल में आख़िरी सांस ली. अंत में फ़ल बेचकर गुज़ारा कर रहे चांद मोहम्मद उस ज़मीन का न्यूनतम मूल्य नहीं चुका पाए जो 2008 में उन्हें देने की बात चली थी. एक टूटे हुए झोपड़े में चांद ने अपने आख़िरी दिन गुज़ारे.

 

ख़ैर अब प्रधानमंत्री मोदी ने क्या सोचकर ख़ुद को ही ख़ुद का धोबी और दर्जी बता दिया, ये तो वो ही जानें.

 

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