उलझता जा रहा है रोहित तिवारी हत्याकांड, पत्नी अपूर्वा भी हर रोज बदल रही बयान
दक्षिण जिला पुलिस ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत मामले में शुरुआती जांच में जिस तरह लापरवाही बरती थी उस तरह की रोहित हत्या मामले में सामने आ रही है। पुलिस को 17 अप्रैल की शाम इस तरह के संकेत मिल गए थे कि रोहित की हत्या की गई है। इसके बावजूद दक्षिण जिला पुलिस सर्तक नहीं हुई। पुलिस ने न तो पत्नी अपूर्वा का मोबाइल जब्त किया और न ही समय से सीसीटीवी फुटेज को खंगाला था।
दक्षिण जिले एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि दक्षिण जिला पुलिस ने सुनंदा पुष्कर केस में शुरुआत में लापरवाही बरती थी और एक वर्ष तक स्वभाविक मौत (सीआरपीसी 174 की कार्रवाई) पर जांच करती रही।
पुलिस ने सुनंदा व उसके परिजनों के मोबाइल फोन को जब्त नहीं किया था और न ही मौके से ठीक से सैंपल लिए थे। रोहित के शव के मैक्स अस्पताल से एम्स की मोर्चरी में ले जाया गया तो वहां डॉक्टरों ने संकेत दे दिए थे कि रोहित की हत्या की गई है।
इसके बावजूद डिफेंस कॉलोनी, दक्षिण जिला पुलिस सर्तक नहीं हुई। पुलिस स्वाभाविक मौत की कार्रवाई की तैयारी कर पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार करती रही।
इस दौरान आरोपी या आरोपियों को सबूत से छेड़छाड़ का काफी समय मिल गया था। डिफेंस कॉलोनी थाना पुलिस ने सीबीआई की फोरेंसिक टीम को नहीं बुलाया था, बल्कि दिल्ली सरकार की एफएसएल टीम को मौके पर बुलाया था।
सीबीआई की फोरेंसिक टीम को एक्सपर्ट माना जाता है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से जब रोहित की हत्या का खुलासा हुआ तो सीबीआई की फोरेंसिक टीम को मौके पर बुलाया था। पुलिस ने शुरुआत में रोहित के परिजनों के मोबाइल व अन्य सबूत एकत्रित नहीं किए थे।