
उत्तराखंड राज्य बनने के बाद कुमाऊं मंडल की दोनों ही लोकसभा सीटों पर भले ही किसी महिला को नुमाइंदगी अभी तक न मिली हो, लेकिन इस चुनाव में अपना सांसद चुनने में महिलाएं आगे रही हैं। एक मात्र धारचूला विधानसभा को छोड़ दिया जाए तो 13 विधानसभाओं में महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा मतदान किया। ऐसे में एक बात तय है कि इस सीट पर प्रत्याशियों की जीत हार की पटकथा महिलाओं ने लिख दी है।
बागेश्वर जिले में पुरुषों ने जहां 49.63 प्रतिशत मतदान किया, वहीं महिलाओं का मत प्रतिशत 64.96 रहा। चंपावत जिले की दोनों विधानसभाओं में महिलाओं ने 13.26 प्रतिशत अधिक मतदान कर लोकतंत्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। जिले में 193863 वोटरों में से 109901 (56.69 प्रतिशत) ने वोट डाला। 101408 पुरुषों में से 51076 तो 92455 महिलाओं में से 58825 ने मतदान किया। पुरुषों ने महज 50.36 प्रतिशत तो महिलाओं ने 63.62 प्रतिशत मतदान किया।
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उधर, अल्मोड़ा में 111105 पुरुष, 142723 महिलाओं और एक थर्ड जेंडर मतदाता ने लोकतंत्र के महापर्व में भागीदारी की। पिथौरागढ़ जिले की गंगोलीहाट सीट पर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने 9.36 प्रतिशत ज्यादा मतदान किया। यहां महिलाओं ने 52.40 प्रतिशत, जबकि 45.32 प्रतिशत पुरुषों ने ही यहां लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लिया। केवल धारचूला विधानसभा क्षेत्र में महिलाओं से अधिक पुरुष वोट देने के लिए निकले।
विधानसभा | कुल मत प्रतिशत | पुरुष | महिला |
द्वाराहाट | 46.88 | 38.58 | 54.78 |
सल्ट | 38.61 | 30.92 | 46.59 |
रानीखेत | 46.15 | 40.47 | 52.28 |
सोमेश्वर | 51.19 | 42.72 | 60.04 |
अल्मोड़ा | 54.65 | 49.99 | 59.68 |
जागेश्वर | 49.59 | 42.46 | 57.41 |
कपकोट | 55.88 | 50.04 | 61.82 |
बागेश्वर | 58.31 | 49.29 | 67.66 |
चंपावत | 60.20 | 56.76 | 65.70 |
लोहाघाट | 52.75 | 44.66 | 59.63 |
गंगोलीहाट | 51 | 45.32 | 54.68 |
पिथौरागढ़ | 53.17 | 47.60 | 52.40 |
डीडीहाट | 51.60 | 49.13 | 50.87 |
धारचूला | 53.31 | 51.25 | 48.75 |
अपनी जिम्मेदारी जानती है महिलाएं
भले ही संसद में महिला आरक्षण का बिल दो दशक से लटका हो। महिलाओं ने इसे लेकर आवाज भी उठाई लेकिन इस मसले को लेकर राजनीतिक दल गंभीर नहीं हैं। घर-गृहस्थी संभालने वाली महिलाओं ने पुरुषवादी समाज को आयना दिखाते हुए वोटिंग के प्रति खूब उत्साह दिखाया। अगर महिलाएं इस तरह बढ़ चढ़कर वोट न करतीं तो मतदान प्रतिशत पिछले लोकसभा चुनाव से भी कम रह जाता। महिलाओं का कहना है कि भले ही राजनीतिक दलों की ओर से उनके मुद्दों की अनदेखी होती रही है लेकिन वे लोकतंत्र की खातिर अपनी जिम्मेदारी को बखूबी जानती हैं।
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ये रहे महिलाओं के प्रमुख मुद्दे
महिलाओं का कहना है कि वे देश की जिम्मेदार नागरिक हैं। इसके चलते उन्होंने घर का काम करने से पहले मतदान में हिस्सा लिया। चंपावत की उषा उप्रेती, पूजा खाती, भगवती पांडेय, लोहाघाट स्टेशन बाजार हरितिमा मुरारी, रेणु गड़कोटी, चांदमारी बीना अधिकारी, बलाई की जानकी देवी, डॉ. अर्चना त्रिपाठी का कहना है कि महिलाओं से संबंधित स्वास्थ्य सेवाएं, महिला डिग्री कॉलेज, पाटी में राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की स्थापना, महिला सुरक्षा आदि मुद्दे उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं। चंपावत जिले में महिलाओं के लिए एक भी गायनाकोलोजिस्ट नहीं है। उम्मीद है कि अधिक मतदान से उनके मसले संसद में पहुंचेंगे और हालात सुधरेंगे।
सैकड़ों महिलाओं के नाम भी मतदाता सूची से गायब
महिलाओं ने खूब मतदान किया लेकिन मतदाता सूची में सैकड़ों महिलाओं के नाम भी गायब थे। लोहाघाट की पुष्पा उप्रेती, सुंई डुंगरी कलावती चौबे, पार्वती देवी, कुलेठी की लक्ष्मी जोशी आदि का कहना है कि वे वोट देने के लिए बूथ तक गईं लेकिन मतदाता सूची में नाम न देख निराशा हुईं। उनका कहना है कि महिला मुद्दों के लिए वे दबाव बनाती रहेंगी।